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Kanpur News: मनमाना गृहकर भारी, सदन की बैठक टाली
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सार
कानपुर में नगर निगम द्वारा पिछले वर्षों के गृहकर में अचानक बढ़ोतरी और ब्याज वसूली से भवन स्वामी परेशान हैं। पार्षदों के विरोध के कारण नगर निगम की बैठक स्थगित कर दी गई। इससे जनता में असंतोष और प्रशासन पर सवाल उठे हैं।
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विस्तार
केस-1
दलेलपुरवा बासमंडी की चक संख्या 89 स्थित भवन संख्या 194 ए(1) निवासी इंतजार अहमद आदि को वर्तमान वर्ष का गृहकर 28437 रुपये, एरियर 238033 और उस पर 28564 रुपये ब्याज लगाते हुए 295034 रुपये का बिल भेजा गया।
केस-2 वार्ड नंबर - 107 तलाक मोहाल स्थित मकान नंबर 278 निवासी अशीसे मोहम्मद, मोहम्मद फैजी को भेजे गए गृहकर के बिल में चालू वित्तीय वर्ष का गृहकर 1531 रुपये और बकाया 3062 रुपये लगाते हुए 5144 रुपये का बिल भेजा गया।
केस- 3
वार्ड - 59 (सिविल लाइंस) स्थित मकान नंबर 16/49 निवासी राकेश कुमार चौरसिया, रितु चौरसिया को वर्तमान वर्ष का गृहकर 21922 रुपये के साथ ही 145696 बकाया और उस पर 32337 रुपये ब्याज लगाते हुए 1,99,955 रुपये का बिल भेजा गया। राकेश का कहना है कि वह हर साल गृहकर जमा करते हैं। उन्होंने जांच कराकर संशोधन की मांग की।
माई सिटी रिपोर्टर
कानपुर। नगर निगम सदन की गुरुवार को होने वाली बैठक स्थगित अचानक स्थगित कर दी गई। गैर भाजपाई पार्षदों का आरोप है कि मनमाने गृहकर और उस पर थोपे गए ब्याज के विरोध में पार्षदों की एकजुटता देख बैठक टाल दी गई। फिलहाल अग्रिम तारीख भी तय नहीं की गई है। माना जा रहा है कि अब बैठक दशहरा बाद होगी। नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने बताया कि मुख्य सचिव के साथ 25 सितंबर को उनकी बैठक होनी थी जिसकी वजह से सदन टालना पड़ा।
नगर निगम की तरफ से चालू वित्तीय वर्ष के बजाय 2022 से गृहकर बढ़ाने के साथ ही ब्याज सहित वसूली के लिए बिल बनाने से भवन स्वामी परेशान हैं। वे तर्क दे रहे हैं कि वे हर साल गृहकर का भुगतान करते हैं। भुगतान करने पर मिलने वाली रसीद में प्रोविजन भी नहीं अंकित किया गया तो अब वे पिछले सालों का बढ़ा हुआ बिल और उस पर ब्याज क्यों दें। महापौर प्रमिला पांडेय ने 23 सितंबर को नगर निगम सदन की बैठक बुलाई थी। बैठक के एजेंडे में नगर निगम और जलकल विभाग के चालू वित्तीय वर्ष के मूल बजट और पिछले वित्तीय वर्ष के इन दोनों विभागों के पुनरीक्षित बजट के प्रस्ताव ही शामिल किए गए थे। एजेंडे में अन्य कोई प्रस्ताव शामिल नहीं किया गया था।
मंगलवार दोपहर में बैठक शुरू होते ही अधिकारियों ने बजट पास कराने की कोशिश की, तभी कांग्रेस पार्षद दल के नेता सुहेल अहमद ने मनमाने गृहकर का मामला उठाया। अन्य विपक्षी पार्षदों के साथ ही भाजपा पार्षद दल के नेता नवीन पंडित, धीरेंद्र त्रिपाठी धीरू, अवधेश त्रिपाठी सहित कई अन्य पार्षदों ने भी गृहकर बढ़ाने और इस पर ब्याज भी लगाने का मामला उठाया। इस तरह चर्चा के दौरान महापौर की तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्होंने 25 सितंबर तक के लिए बैठक स्थगित कर दी।
24 सितंबर को गैर भाजपाई पार्षदों ने नगर निगम मुख्यालय में संयुक्त बैठक कर मनमाने गृहकर का विरोध किया था। इस मुद्दे को सदन में जोरदारी से उठाने का एलान किया गया। सुहेल अहमद, लियाकत आदि ने कहा कि बढ़े गृहकर के विरोध में वे जनता के बीच जाएंगे। इसके बाद अचानक सदन की बैठक स्थगित कर दी गई। सुहेल, लियाकत, शिब्बू का कहना है कि गृहकर के मामले में हंगामे की आशंका देख बैठक स्थगित की गई है।
कोट
नगर निगम ने गृहकर बढ़ाया नहीं है। पहले गृहकर बहुत कम था, अभी भी गाजियाबाद, कोलकाता, बंगलूरू की तुलना में कम है। यह कोशिश कर रहे हैं कि किसी का गृहकर ज्यादा न हो। बिल सही करने के लिए शिविर लगा रहे हैं। जीआईएस सर्वे में कुछ लोगों का गृहकर कम भी हुआ है। कर निर्धारण की पूरे प्रदेश में सामान्य नियम और प्रक्रिया है। एक अप्रैल 2022 से जीआईएस सर्वे हुआ, तभी से इसके आधार पर गृहकर ले रहे हैं। यह कोशिश है कि जिसका जितना बिल बनता हो, उतना ही हो। मेरे पास भी शिकायतें आती रहती हैं। जांच कराकर संशोधन भी हो रहा है पर पुन: जांच में यदि इससे ज्यादा कर हुुआ तो वही लिया जाएगा।
- सुधीर कुमार, नगर आयुक्त
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दलेलपुरवा बासमंडी की चक संख्या 89 स्थित भवन संख्या 194 ए(1) निवासी इंतजार अहमद आदि को वर्तमान वर्ष का गृहकर 28437 रुपये, एरियर 238033 और उस पर 28564 रुपये ब्याज लगाते हुए 295034 रुपये का बिल भेजा गया।
केस-2 वार्ड नंबर - 107 तलाक मोहाल स्थित मकान नंबर 278 निवासी अशीसे मोहम्मद, मोहम्मद फैजी को भेजे गए गृहकर के बिल में चालू वित्तीय वर्ष का गृहकर 1531 रुपये और बकाया 3062 रुपये लगाते हुए 5144 रुपये का बिल भेजा गया।
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केस- 3
वार्ड - 59 (सिविल लाइंस) स्थित मकान नंबर 16/49 निवासी राकेश कुमार चौरसिया, रितु चौरसिया को वर्तमान वर्ष का गृहकर 21922 रुपये के साथ ही 145696 बकाया और उस पर 32337 रुपये ब्याज लगाते हुए 1,99,955 रुपये का बिल भेजा गया। राकेश का कहना है कि वह हर साल गृहकर जमा करते हैं। उन्होंने जांच कराकर संशोधन की मांग की।
माई सिटी रिपोर्टर
कानपुर। नगर निगम सदन की गुरुवार को होने वाली बैठक स्थगित अचानक स्थगित कर दी गई। गैर भाजपाई पार्षदों का आरोप है कि मनमाने गृहकर और उस पर थोपे गए ब्याज के विरोध में पार्षदों की एकजुटता देख बैठक टाल दी गई। फिलहाल अग्रिम तारीख भी तय नहीं की गई है। माना जा रहा है कि अब बैठक दशहरा बाद होगी। नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने बताया कि मुख्य सचिव के साथ 25 सितंबर को उनकी बैठक होनी थी जिसकी वजह से सदन टालना पड़ा।
नगर निगम की तरफ से चालू वित्तीय वर्ष के बजाय 2022 से गृहकर बढ़ाने के साथ ही ब्याज सहित वसूली के लिए बिल बनाने से भवन स्वामी परेशान हैं। वे तर्क दे रहे हैं कि वे हर साल गृहकर का भुगतान करते हैं। भुगतान करने पर मिलने वाली रसीद में प्रोविजन भी नहीं अंकित किया गया तो अब वे पिछले सालों का बढ़ा हुआ बिल और उस पर ब्याज क्यों दें। महापौर प्रमिला पांडेय ने 23 सितंबर को नगर निगम सदन की बैठक बुलाई थी। बैठक के एजेंडे में नगर निगम और जलकल विभाग के चालू वित्तीय वर्ष के मूल बजट और पिछले वित्तीय वर्ष के इन दोनों विभागों के पुनरीक्षित बजट के प्रस्ताव ही शामिल किए गए थे। एजेंडे में अन्य कोई प्रस्ताव शामिल नहीं किया गया था।
मंगलवार दोपहर में बैठक शुरू होते ही अधिकारियों ने बजट पास कराने की कोशिश की, तभी कांग्रेस पार्षद दल के नेता सुहेल अहमद ने मनमाने गृहकर का मामला उठाया। अन्य विपक्षी पार्षदों के साथ ही भाजपा पार्षद दल के नेता नवीन पंडित, धीरेंद्र त्रिपाठी धीरू, अवधेश त्रिपाठी सहित कई अन्य पार्षदों ने भी गृहकर बढ़ाने और इस पर ब्याज भी लगाने का मामला उठाया। इस तरह चर्चा के दौरान महापौर की तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्होंने 25 सितंबर तक के लिए बैठक स्थगित कर दी।
24 सितंबर को गैर भाजपाई पार्षदों ने नगर निगम मुख्यालय में संयुक्त बैठक कर मनमाने गृहकर का विरोध किया था। इस मुद्दे को सदन में जोरदारी से उठाने का एलान किया गया। सुहेल अहमद, लियाकत आदि ने कहा कि बढ़े गृहकर के विरोध में वे जनता के बीच जाएंगे। इसके बाद अचानक सदन की बैठक स्थगित कर दी गई। सुहेल, लियाकत, शिब्बू का कहना है कि गृहकर के मामले में हंगामे की आशंका देख बैठक स्थगित की गई है।
कोट
नगर निगम ने गृहकर बढ़ाया नहीं है। पहले गृहकर बहुत कम था, अभी भी गाजियाबाद, कोलकाता, बंगलूरू की तुलना में कम है। यह कोशिश कर रहे हैं कि किसी का गृहकर ज्यादा न हो। बिल सही करने के लिए शिविर लगा रहे हैं। जीआईएस सर्वे में कुछ लोगों का गृहकर कम भी हुआ है। कर निर्धारण की पूरे प्रदेश में सामान्य नियम और प्रक्रिया है। एक अप्रैल 2022 से जीआईएस सर्वे हुआ, तभी से इसके आधार पर गृहकर ले रहे हैं। यह कोशिश है कि जिसका जितना बिल बनता हो, उतना ही हो। मेरे पास भी शिकायतें आती रहती हैं। जांच कराकर संशोधन भी हो रहा है पर पुन: जांच में यदि इससे ज्यादा कर हुुआ तो वही लिया जाएगा।
- सुधीर कुमार, नगर आयुक्त
