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Kanpur: एनएच और स्टेट हाईवे पर चिह्नित 264 नए डेथ जोन बने चुनौती, डीएम ने निरीक्षण कर दिए सुधार के निर्देश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Tue, 23 Dec 2025 12:33 PM IST
सार

Kanpur News: कानपुर में 264 खतरनाक दुर्घटना स्थलों को सुधारने के लिए पीडब्लूडी और एनएचएआई ने सर्वे शुरू किया है। टी-जंक्शनों को वाई-जंक्शन में बदलकर और अवैध कट बंद कर हादसों पर लगाम लगाई जाएगी।

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Kanpur 264 newly identified death zones on national and state highways pose a challenge
कानपुर-सागर हाईवे - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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कानपुर में सड़क हादसों पर ब्रेक लगाने के लिए प्रशासन ने खतरे के सबसे बड़े ठिकानों को सीधे निशाने पर लिया है। सेव लाइफ फाउंडेशन की ओर से तैयार रिपोर्ट में जिले में 264 गंभीर दुर्घटना संभावित स्थल (क्रिटिकल क्रैश प्रोन लोकेशन) चिह्नित किए गए हैं। ये हादसे एनएच-19, एनएच-34, स्टेट हाईवे-46 और स्टेट हाईवे-68 पर हो रहे हैं। अब इन्हें सुधारने के लिए डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई, आरटीओ और यातायात पुलिस की संयुक्त टीमें मौके पर पहुंचकर सत्यापन कर रही हैं।

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जिले में अभी तक हाईवे पर करीब 17 ब्लैक स्पाट चिह्नित थे। इस पर डीएम ने सख्ती कर उनमें सुधार कराया। अवैध कटों को बंद कराया, स्पीड ब्रेकर बनवाए, चेतावनी बोर्ड, क्रैश बैरियर लगाकर सुधार कराए। अब सेव लाइफ फाउंडेशन, मिनिस्ट्री आफ रोड ट्रांसपोर्ट एंव हाईवे की तरफ से वर्ष 2023 में हुए सड़क हादसों का अध्ययन कर 264 नए स्थान चिह्नित किए गए।

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डीएम ने दिए हैं जरूरी निर्देश
ये स्थान एनएच-19 (शहर से गुजरने वाला पुराना जीटी रोड), एनएच-34(कानपुर–हमीरपुर–सागर मार्ग), स्टेट हाईवे-46 (यह लखनऊ-कानपुर के हाईवे के पास से गुजरता), स्टेट हाईवे-68( कानपुर से हमीरपुर और रमईपुर, घाटमपुर होते हुए सुमेरपुर होते हुए) पर हैं। इन स्थानों पर 500 मीटर की दूरी पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। इस रिपोर्ट के साथ फाउंडेशन की तरफ से सुधार के भी उपाय बताए हैं। इन स्थानों को दुरुस्त करने के लिए डीएम ने रोड मार्किंग, कट बंद करना, स्पीड ब्रेकर, रोड बनावट में सुधार, साइनेज आदि सुधार कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

जिलाधिकारी ने टीमों को दिए निर्देश
डीएम ने हादसों को कम करने के लिए जनपद के सभी स्टेट हाईवे, राजमार्ग और राष्ट्रीय मार्ग हर हाल में गड्ढामुक्त करने को कहा। जहां-जहां टी-जंक्शन हादसों की वजह बन रहे हैं वहां उन्हें वाई-जंक्शन में बदला जाए ताकि दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।

18 थाना क्षेत्रों में बनी क्रिटिकल कॉरिडोर टीम
जनपद के सबसे ज्यादा हादसों वाले 18 थाना क्षेत्रों में 18 क्रिटिकल कॉरिडोर टीमें गठित की गई हैं। हर टीम में एक उपनिरीक्षक और 4 आरक्षी तैनात किए हैं। सभी टीमों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं, फाउंडेशन ने हादसों की वजह भी बताई है। इसके तहत एनएच–34 से ग्रामीणों का निकलना और जिन मार्गों पर टी जंक्शन हैं वो ज्यादा खतरनाक हैं। यहां सबसे ज्यादा आमने-सामने की टक्कर, तेज रफ्तार में साइड से टकराव, पीछे से ठोकर जैसी घटनाएं होती हैं। इसके साथ सभी सड़कों पर गड्ढे, अनधिकृत कट, अस्पष्ट रोड मार्किंग, स्पीड कंट्रोल का अभाव हादसों की सबसे बड़ी वजह बन रहे हैं।

सेव लाइफ फाउंडेशन की तरफ से 264 क्रिटिकल स्थान चिह्नित किए गए हैं। इनको देखने के लिए संयुक्त अधिकारियों की टीमें सत्यापन कर रही हैं। इनमें सुधार कराने का काम पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई करेगा।  -राहुल श्रीवास्तव, आरटीओ प्रवर्तन

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