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देवोत्थान एकादशीः आज होगा तुलसी विवाह, 23 नवंबर से मांगलिक कार्य शुरू
टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर
Updated Tue, 31 Oct 2017 10:57 AM IST
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देवोत्थान एकादशी पर्व पर भगवान विष्णु व तुलसी का विवाह होता है। इस दिन भगवान विष्णु शयन से उठते हैं। इस दिन किए गए अनुष्ठान का उत्तम फल प्राप्त होेता है। इसे देव दीपावली भी कहते हैं। साथ ही इस दिन जगह-जगह तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। यूं तो एकादशी से ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते है लेकिन इस वर्ष गुरु ग्रह के अस्त होने के कारण विवाह आदि कार्य 23 नवंबर से शुरू होंगे।
इसे प्रबोधिनी एकादशी और पाप मुक्त एकादशी भी कहते है। ज्योतिषाचार्य पं. शिवसंपत द्विवेदी ने बताया कि देवोत्थान एकादशी का पावन पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु का शयन हो जाता है। इस वर्ष 4 जुलाई को देवशयन काल प्रारंभ हुआ था और चार महीने बाद देवोत्थान एकादशी के दिन जागरण होगा।
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इसे प्रबोधिनी एकादशी और पाप मुक्त एकादशी भी कहते है। ज्योतिषाचार्य पं. शिवसंपत द्विवेदी ने बताया कि देवोत्थान एकादशी का पावन पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु का शयन हो जाता है। इस वर्ष 4 जुलाई को देवशयन काल प्रारंभ हुआ था और चार महीने बाद देवोत्थान एकादशी के दिन जागरण होगा।
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इसे हम देव दीपावली भी कहते है
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इस दिन से वैवाहिक शुभ कर्म आदि अनुष्ठान भी प्रारंभ हो जाते हैं। दूसरे रुप में इसे हम देव दीपावली भी कहते है। इस दिन किए गए अनुष्ठान आदि का उतना ही उत्तम फल प्राप्त होता जितना कि दीपावली पर किए गए अनुष्ठान का। इस दिन मुख्य रुप से लक्ष्मी नारायण का पूजन किया जाता है।
इस दिन तुलसी विवाह भी कराया जाता है। इसमें गन्ने के वृक्षों का मंडप बनाया जाता है। जिससे हमारे जीवन में धन धान्य की समृद्धि हो, इसलिए गन्ने के वृक्षों का मंडप बनाना चाहिए। और उसमें तुलसी के साथ शालिगराम रखकर तुलसी शालिगराम विवाह कराना चाहिए। इस दिन से ही विवाह आदि कार्य शुरू हो जाते है। तुलसी शालिगराम के विवाह के बाद ही लोग विवाह आदि शुभ कार्य आरंभ करते है।
इस दिन तुलसी विवाह भी कराया जाता है। इसमें गन्ने के वृक्षों का मंडप बनाया जाता है। जिससे हमारे जीवन में धन धान्य की समृद्धि हो, इसलिए गन्ने के वृक्षों का मंडप बनाना चाहिए। और उसमें तुलसी के साथ शालिगराम रखकर तुलसी शालिगराम विवाह कराना चाहिए। इस दिन से ही विवाह आदि कार्य शुरू हो जाते है। तुलसी शालिगराम के विवाह के बाद ही लोग विवाह आदि शुभ कार्य आरंभ करते है।