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Kasganj News: आलू की पछेती फसल पर झुलसा का खतरा

संवाद न्यूज एजेंसी, कासगंज Updated Fri, 19 Dec 2025 11:44 PM IST
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Danger of blight on late potato crop
फोटो07सोरोंजी के गांव हिमांयुपुर में आलू की फलस के बारे में जानकारी करते जिला कृ​षि अ​धिकार
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कासगंज। तापमान में तेज गिरावट के सा आद्रता बढ़ने से आलू की पछेती फसल में झुलसा रोग फैलने की आशंका है। यह मौसम दलहनी और तिलहनी फसलों के लिए भी अनुकूल नहीं माना जा रहा। नमी और गिरते तापमान से फफूंद जनित रोग का खतरा बढ़ गया है। कृषि विभाग ने किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी। कृषि अधिकारी ने जिला कृषि अधिकारी डॉ. अवधेश मिश्र ने सोरोंजी के हुमायूंपुर में आलू की फसल का निरीक्षण के बाद बताया कि आलू की फसल में जब तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच और वायुमंडलीय आद्रता 80 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो पछेती झुलसा रोग की प्रबल संभावना रहती है। यह एक फफूंद जनित और अत्यंत घातक रोग है, जो फसल के लिए भारी नुकसान का कारण बन सकता है।उन्होंने बताया कि पछेती झुलसा रोग की शुरुआत पत्तियों के किनारों से होती है और धीरे-धीरे अंदर की ओर फैलती है। इस रोग में पत्तियों पर पानी जैसे धब्बे बनते हैं, जो ठंडे और नम मौसम में तेजी से फैलते हैं। इसका असर पत्तियों, तनों के साथ-साथ कंदों पर भी दिखाई देता है।
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यह करें उपाय :
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि रोग के जैविक प्रबंधन के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की 5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में या बैसिलस सबटिलिस आधारित बायो-फंजीसाइड्स की 3 से 4 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। रासायनिक रोकथाम के लिए मैंन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।यदि फसल में पछेती झुलसा के लक्षण दिखाई देने लगें तो मेटालेक्सिल 4 प्रतिशत मैंन्कोजेब 64 प्रतिशत डब्लूपी की 2-2 ग्राम मात्रा या सायमोक्सानिल 8 प्रतिशत मैंन्कोजेब 64 प्रतिशत डब्लूपी की 2.5-2.5 ग्राम मात्रा अथवा फ्लूओपिकोलाइड प्रोपामोकार्ब की 2-2 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। साथ ही उन्होंने आलू की फसल की सुबह-शाम नियमित निगरानी करने और रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही तुरंत उपचार करने साथ ही ऐसे मौसम में फसल में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करने की सलाह भी दी।
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