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Lalitpur News: फर्जी डॉक्टर तीन वर्ष तक मरीजों की जान से खेलता रहा
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तीन माह में 140 मरीज भर्ती, 40 रेफर ; तीन वर्ष में 36 हजार मरीजों का इलाज और 1,100 भर्ती
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। मेडिकल कॉलेज के एनसीडी सेल में तैनात फर्जी चिकित्सक अभिनव सिंह ने तीन वर्ष तक खुद को विशेषज्ञ डॉक्टर बताकर हजारों मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया। विभागीय आंकड़ों के अनुसार वह प्रतिदिन 40-45 मरीजों का ओपीडी में उपचार करता रहा। इसी अवधि में प्रतिमाह 30-40 गंभीर हृदय रोगियों को गहन ह्रदय चिकित्सा इकाई (सीसीयू) में भर्ती भी किया गया।
एनएचएम के अंतर्गत कार्डियोलॉजी एवं जनरल मेडिसिन के पद पर नियुक्ति के बाद मरीजों को विशेषज्ञ इलाज की उम्मीद जगी थी। तीन वर्षों तक मरीज उसे विशेषज्ञ मानकर इलाज कराते रहे। कई गंभीर मरीजों को सीसीयू में भर्ती कर उपचार दिया गया। हैरानी की बात यह है कि विभागीय अधिकारी और अन्य चिकित्सक भी उसके फर्जी होने की पोल पकड़ नहीं सके। ऑनकॉल ड्यूटी के दौरान वह कई बार अनुपस्थित मिला, फिर भी किसी ने मामले की तह तक जाने की कोशिश नहीं की। इकलौता विशेषज्ञ समझे जाने के कारण वह कार्रवाई से भी बचता रहा।
मरीजों की स्थिति : तीन वर्ष में 36 हजार ओपीडी, 1,100 भर्ती
विभागीय आँकड़ों के अनुसार ओपीडी में वह प्रतिदिन औसतन 40–45 मरीजों को देखता था, यानी लगभग एक माह में करीब 1,000 मरीजों का इलाज। प्रतिमाह लगभग 30 मरीज सीसीयू में भर्ती किए जाते थे, जिनमें से 12 मरीज रेफर किए जाते थे।
तीन वर्षों में कुल 36 हजार मरीजों को ओपीडी में उपचार दिया गया, जबकि 1,000–1,100 मरीज सीसीयू में भर्ती हुए। इनमें लगभग 450–480 मरीजों को रेफर करना पड़ा।
वीआईपी ड्यूटियों में भी शामिल
जनपद में आने वाले अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की चिकित्सा टीम में शामिल होकर उसने वीआईपी ड्यूटी भी निभाई। गनीमत यह रही कि किसी वीआईपी को हृदय संबंधी आपात स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा, अन्यथा समय पर उचित उपचार न मिलने की स्थिति में गंभीर परिणाम सामने आ सकते थे।
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। मेडिकल कॉलेज के एनसीडी सेल में तैनात फर्जी चिकित्सक अभिनव सिंह ने तीन वर्ष तक खुद को विशेषज्ञ डॉक्टर बताकर हजारों मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया। विभागीय आंकड़ों के अनुसार वह प्रतिदिन 40-45 मरीजों का ओपीडी में उपचार करता रहा। इसी अवधि में प्रतिमाह 30-40 गंभीर हृदय रोगियों को गहन ह्रदय चिकित्सा इकाई (सीसीयू) में भर्ती भी किया गया।
एनएचएम के अंतर्गत कार्डियोलॉजी एवं जनरल मेडिसिन के पद पर नियुक्ति के बाद मरीजों को विशेषज्ञ इलाज की उम्मीद जगी थी। तीन वर्षों तक मरीज उसे विशेषज्ञ मानकर इलाज कराते रहे। कई गंभीर मरीजों को सीसीयू में भर्ती कर उपचार दिया गया। हैरानी की बात यह है कि विभागीय अधिकारी और अन्य चिकित्सक भी उसके फर्जी होने की पोल पकड़ नहीं सके। ऑनकॉल ड्यूटी के दौरान वह कई बार अनुपस्थित मिला, फिर भी किसी ने मामले की तह तक जाने की कोशिश नहीं की। इकलौता विशेषज्ञ समझे जाने के कारण वह कार्रवाई से भी बचता रहा।
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मरीजों की स्थिति : तीन वर्ष में 36 हजार ओपीडी, 1,100 भर्ती
विभागीय आँकड़ों के अनुसार ओपीडी में वह प्रतिदिन औसतन 40–45 मरीजों को देखता था, यानी लगभग एक माह में करीब 1,000 मरीजों का इलाज। प्रतिमाह लगभग 30 मरीज सीसीयू में भर्ती किए जाते थे, जिनमें से 12 मरीज रेफर किए जाते थे।
तीन वर्षों में कुल 36 हजार मरीजों को ओपीडी में उपचार दिया गया, जबकि 1,000–1,100 मरीज सीसीयू में भर्ती हुए। इनमें लगभग 450–480 मरीजों को रेफर करना पड़ा।
वीआईपी ड्यूटियों में भी शामिल
जनपद में आने वाले अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की चिकित्सा टीम में शामिल होकर उसने वीआईपी ड्यूटी भी निभाई। गनीमत यह रही कि किसी वीआईपी को हृदय संबंधी आपात स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा, अन्यथा समय पर उचित उपचार न मिलने की स्थिति में गंभीर परिणाम सामने आ सकते थे।
