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मनरेगा : देर से मजदूरी मिलने से ठंडी पड़ने लगी चूल्हे की आग
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर मजदूरों के विकास और सामाजिक उत्थान के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जबकि, ग्रामीण क्षेत्रों में काम की गारंटी देने वाली मनरेगा योजना संचालित है। लेकिन, मनरेगा में जॉब कार्ड धारकों को मजदूरी का भुगतान न होने से उनके घरों में चूल्हे की आग अब ठंडी पड़ने लगी है। वह मनरेगा में काम करने के बजाय अन्य जगह मजदूरी करने लगे हैं।
लोगों को गांव में ही मजदूरी मिल सके, इसके लिए मनरेगा योजना चलाई जा रही है। 415 ग्राम पंचायतों में 1.25 लाख जॉब कार्डधारक हैं। इनको गांव में होने वाले कच्चे-पक्के विकास के काम में मजदूरी दी जाती है। शासन से निर्धारित मजदूरी दी जाती है। हर वित्तीय वर्ष में जनपद को मानव दिवस सृजन करने का लक्ष्य मिलता है। इस वित्तीय वर्ष में करीब 26.76 लाख मानव दिवस सृजित करने का छमाही लक्ष्य दिया गया है। लक्ष्य पूरा करने के लिए मनरेगा विभाग ग्राम पंचायतों के साथ मिलकर मजदूरों को काम उपलब्ध कराता है। लेकिन, मनरेगा की मजदूरी शासन द्वारा कई बार लंबित कर दी जाती है, जिस कारण मजदूरों को काम का भुगतान नहीं हो पाता। इसका असर मनरेगा के मानव दिवस सृजन के दिए गए लक्ष्य पर पड़ता है।
मनरेगा मजदूरों को जनवरी से भुगतान नहीं मिला है, जोकि करीब 5-6 करोड़ रुपये है। इस कारण मजदूरों मनरेगा का मोह भंग होने लगा है और वह अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए अन्य जगह पर मजदूरी करने को विवश हैं। अप्रैल में जनपद को दिए गए मानव दिवस सृजन का लक्ष्य 3.37 लाख के सापेक्ष 1.3 लाख ही हासिल किया जा सका है। अधिकारियों ने बकाया चल रही मजदूरी का भुगतान शुरू हो जाने की बात कही है।
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लोगों को गांव में ही मजदूरी मिल सके, इसके लिए मनरेगा योजना चलाई जा रही है। 415 ग्राम पंचायतों में 1.25 लाख जॉब कार्डधारक हैं। इनको गांव में होने वाले कच्चे-पक्के विकास के काम में मजदूरी दी जाती है। शासन से निर्धारित मजदूरी दी जाती है। हर वित्तीय वर्ष में जनपद को मानव दिवस सृजन करने का लक्ष्य मिलता है। इस वित्तीय वर्ष में करीब 26.76 लाख मानव दिवस सृजित करने का छमाही लक्ष्य दिया गया है। लक्ष्य पूरा करने के लिए मनरेगा विभाग ग्राम पंचायतों के साथ मिलकर मजदूरों को काम उपलब्ध कराता है। लेकिन, मनरेगा की मजदूरी शासन द्वारा कई बार लंबित कर दी जाती है, जिस कारण मजदूरों को काम का भुगतान नहीं हो पाता। इसका असर मनरेगा के मानव दिवस सृजन के दिए गए लक्ष्य पर पड़ता है।
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मनरेगा मजदूरों को जनवरी से भुगतान नहीं मिला है, जोकि करीब 5-6 करोड़ रुपये है। इस कारण मजदूरों मनरेगा का मोह भंग होने लगा है और वह अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए अन्य जगह पर मजदूरी करने को विवश हैं। अप्रैल में जनपद को दिए गए मानव दिवस सृजन का लक्ष्य 3.37 लाख के सापेक्ष 1.3 लाख ही हासिल किया जा सका है। अधिकारियों ने बकाया चल रही मजदूरी का भुगतान शुरू हो जाने की बात कही है।