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Lalitpur News: अभिनव सिंह कैसे बना डॉ. राजीव गुप्ता, जानने में जुटी पुलिस
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दस्तावेज खंगाले जा रहे, कई लोगों से होगी पूछताछ
ललितपुर। बहनोई के नाम और चिकित्सकीय दस्तावेजों का उपयोग कर मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट के पद पर नौकरी करने वाले आरोपी अभिनव सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जांच की रफ्तार और तेज कर दी है। पुलिस अब इस सवाल की तह तक जाने में जुटी है कि आखिर अभिनव सिंह स्वयं को डॉ. राजीव गुप्ता के रूप में कैसे पेश करने में कामयाब हो गया और इस पूरे प्रकरण में और कौन-कौन शामिल रहा।
तीन वर्षों तक मेडिकल कॉलेज में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर ‘डॉ. राजीव गुप्ता’ नाम से नौकरी करने वाले आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने और गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जांच को व्यापक रूप दिया है। पुलिस अधीक्षक मोहम्मद मुश्ताक स्वयं मामले की मानिटरिंग कर रहे हैं। जांच टीम सभी अभिलेखों को खंगालने के साथ उनके संग्रहण में जुटी है। पुलिस मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग में तैनात कई लोगों से पूछताछ की तैयारी कर रही है, ताकि पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जा सके।
इस तहरीर पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी
उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामनरेश सोनी ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि 10 दिसंबर को डॉ. सोनाली सिंह, 56 बकलेन, बेलटन, टेक्सास (यूएसए) ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को प्रार्थना पत्र दिया। इसमें बताया गया कि उनके भाई इंजीनियर अभिनव सिंह ने उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता की पहचान, एमबीबीएस और एमडी की डिग्रियां चुराकर मेडिकल कॉलेज में नौकरी हासिल की है।
डीएम द्वारा गठित जांच समिति ने जांच की तो पुष्टि हुई कि अभिनव सिंह ने अपने जीजा डॉ. राजीव गुप्ता की डिग्रियों को कूटरचित कर आर्थिक और भौतिक लाभ उठाया। फर्जी एमबीबीएस और एमडी डिग्री, आधार कार्ड एवं अन्य कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर उसने मेडिकल कॉलेज की जिला सीसीयू एंड कैंसर यूनिट में संविदा पर विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट एवं जनरल मेडिसिन) के पद पर नौकरी प्राप्त की।
तहरीर में यह भी उल्लेख किया गया है कि बिना किसी योग्यता और अनुभव के आरोपी ने गंभीर हृदय रोगियों का उपचार कर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ किया। साथ ही, उसने डॉ. राजीव गुप्ता का प्रतिरूपण करते हुए अनेक दस्तावेजों में कूटरचना की। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
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ललितपुर। बहनोई के नाम और चिकित्सकीय दस्तावेजों का उपयोग कर मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट के पद पर नौकरी करने वाले आरोपी अभिनव सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जांच की रफ्तार और तेज कर दी है। पुलिस अब इस सवाल की तह तक जाने में जुटी है कि आखिर अभिनव सिंह स्वयं को डॉ. राजीव गुप्ता के रूप में कैसे पेश करने में कामयाब हो गया और इस पूरे प्रकरण में और कौन-कौन शामिल रहा।
तीन वर्षों तक मेडिकल कॉलेज में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर ‘डॉ. राजीव गुप्ता’ नाम से नौकरी करने वाले आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने और गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जांच को व्यापक रूप दिया है। पुलिस अधीक्षक मोहम्मद मुश्ताक स्वयं मामले की मानिटरिंग कर रहे हैं। जांच टीम सभी अभिलेखों को खंगालने के साथ उनके संग्रहण में जुटी है। पुलिस मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग में तैनात कई लोगों से पूछताछ की तैयारी कर रही है, ताकि पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जा सके।
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इस तहरीर पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी
उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामनरेश सोनी ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि 10 दिसंबर को डॉ. सोनाली सिंह, 56 बकलेन, बेलटन, टेक्सास (यूएसए) ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को प्रार्थना पत्र दिया। इसमें बताया गया कि उनके भाई इंजीनियर अभिनव सिंह ने उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता की पहचान, एमबीबीएस और एमडी की डिग्रियां चुराकर मेडिकल कॉलेज में नौकरी हासिल की है।
डीएम द्वारा गठित जांच समिति ने जांच की तो पुष्टि हुई कि अभिनव सिंह ने अपने जीजा डॉ. राजीव गुप्ता की डिग्रियों को कूटरचित कर आर्थिक और भौतिक लाभ उठाया। फर्जी एमबीबीएस और एमडी डिग्री, आधार कार्ड एवं अन्य कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर उसने मेडिकल कॉलेज की जिला सीसीयू एंड कैंसर यूनिट में संविदा पर विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट एवं जनरल मेडिसिन) के पद पर नौकरी प्राप्त की।
तहरीर में यह भी उल्लेख किया गया है कि बिना किसी योग्यता और अनुभव के आरोपी ने गंभीर हृदय रोगियों का उपचार कर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ किया। साथ ही, उसने डॉ. राजीव गुप्ता का प्रतिरूपण करते हुए अनेक दस्तावेजों में कूटरचना की। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
