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चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण न होने से अधूरा है नगर के विकास का सपना
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कुलपहाड़ (महोबा)। चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण न होने से क्षेत्र के विकास का सपना पू्रा नहीं हो पा रहा है। स्थानीय किसानों ने चकबंदी प्रक्रिया जल्द पू्री कराने की मांग की है।
कुलपहाड़ में विगत 20 साल से चल रही चकबंदी प्रक्रिया सफल नहीं हो सकी है। इस प्रक्रिया में न तो किसानों को लाभ हुआ और न ही विकास कार्यों के लिए जमीन उपलब्ध हो सकी। जन सूचना अधिकार से मांगी गई सूचना के आधार पर देखा गया कि चकबंदी प्रक्रिया के दौरान बचत की भूमि 150.26 एकड़ है। जिस पर डिग्री कॉलेज ,फायर बिग्रेड, इंटर कॉलेज ,प्राथमिक विद्यालय ,हॉस्पिटल ,पुलिस थाना ,खेलकूद का मैदान ,फायर बिग्रेड जैसी अति आवश्यक विकास योजनाएं बनाकर भवन बनाए जा सके। लेकिन कुलपहाड़ नगर के लिए यह योजनाएं चकबंदी प्रक्रिया अधूरी होने के कारण पूरी नहीं हो पाएगी।
समाजसेवी व आरटीआई एक्टिविस्ट देशराज अहिरवार ने बताया कि 254 गाटों को एक साथ एकत्र करके डेढ़ सौ एकड़ बचत भूमि को एक साथ कर दिया जाता तो उस पर सरकारी योजनाएं का लाभ दिया जा सकता था। चकबंदी कर्मचारियों ने भूमाफियाओं से मिलकर नगर के समीप चक बना दिए जिससे भविष्य में कुलपहाड़ नगर में कोई भी बड़ी योजना मूर्त रूप नहीं ले पाएगी। नगर के समीप कोई बड़ा भूखंड सरकारी जमीन का उपलब्ध नही है। कुलपहाड़ विकास समिति के सुरेंद्र यादव का कहना है कि चकबंदी के कारण नगर के समीप सरकारी जमीन उपलब्ध नही हुई। जिससे विकास योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाएंगी।
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समाजसेवी व आरटीआई एक्टिविस्ट देशराज अहिरवार ने बताया कि 254 गाटों को एक साथ एकत्र करके डेढ़ सौ एकड़ बचत भूमि को एक साथ कर दिया जाता तो उस पर सरकारी योजनाएं का लाभ दिया जा सकता था। चकबंदी कर्मचारियों ने भूमाफियाओं से मिलकर नगर के समीप चक बना दिए जिससे भविष्य में कुलपहाड़ नगर में कोई भी बड़ी योजना मूर्त रूप नहीं ले पाएगी। नगर के समीप कोई बड़ा भूखंड सरकारी जमीन का उपलब्ध नही है। कुलपहाड़ विकास समिति के सुरेंद्र यादव का कहना है कि चकबंदी के कारण नगर के समीप सरकारी जमीन उपलब्ध नही हुई। जिससे विकास योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाएंगी।