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Meerut News: राजपूताना रोड का काम पिछड़ा, तीसरी बार आरएफपी अपलोड

Meerut Bureau मेरठ ब्यूरो
Updated Wed, 26 Nov 2025 02:31 AM IST
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Rajputana Road work lags behind, RFP uploaded for the third time
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मेरठ। गंगानगर में मवाना रोड से किला रोड तक 45 मीटर चौड़ी 2.19 किमी. लंबी राजपूताना रोड का काम पिछड़ गया है। इस सड़क पर केंद्र सरकार की ओर से मिले विशेष बजट के अंतर्गत करीब 18 करोड़ से इसका निर्माण कराया जा रहा था। इसे सितंबर तक शुरू करने का दावा किया गया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो सका।
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दो बार रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) अपलोड हुआ लेकिन एक-एक ही बोली लगी। अब तीसरी बार फाइनल आरएफपी अपलोड कर दिया गया है। एक भी बोली आने पर इसे स्वीकृत किया जाएगा। राजपूताना रोड के लिए नाले के किनारे दीवार बनाकर पौधे लगाए गए और विभिन्न तरह के फूल वाले पौधे रोप वर्टिकल गार्डन विकसित करने के दावे किए गए। इसी के साथ यहां कियोस्क बनाए जा रहे हैं ताकि लोग घूमते हुए चौपाटी के तर्ज पर चाट पकौड़ी के आनंद ले सकेंगे। तीन मीटर चौड़े साइकिल ट्रैक के साथ ही साइकिल स्टैंड और वाटरफॉल का भी प्रस्ताव था। इसे आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न प्रतिमाएं स्थापित की जानी थीं। लेकिन अब इसका सौंदर्यीकरण का काम थम सा गया है।
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यहां लगाए गए खूबसूरत पौधे देखरेख के अभाव में सूखने लगे हैं। यहां फैंसी लाइटें भी अलग और खास लुक देने के लिए लगाई गई थीं। इनमें से कई लाइटें टूट चुकी हैं। वहीं नाले किनारे लगाए गई टाइल्स और पत्थर भी दरककर गिर रहे हैं। मेडा उपाध्यक्ष संजय कुमार मीना ने बताया कि एक ही ठेकेदार को कियोस्क दिए जाएंगी। दो बार रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल आरएफपी अपलोड की गईं। हर बार एक-एक फर्म द्वारा आवेदन हुआ। अब तीसरी बार आरएफपी अपलोड की है। एक दिसंबर को इसे फाइनल कर दिया जाएगा।

गिरने लगीं टाइल्स, चोरी होने लगी लाइटें

परिवार समेत लोग आएं इसलिए बच्चों के खेलने का स्थान, खाने-पीने की व्यवस्था, बेंच, ओपन जिम बनना था। सीमेंट की रंगीन टाइल्स से फुटपाथ, विभिन्न स्थानों पर जेब्रा क्रॉसिंग बननी थी। मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) के पूर्व उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने इस मार्ग पर पेडेस्ट्रियन फ्रेंडली पाथवे बनाने की शुरुआत की थी। इसमें ओपन थियेटर पर नृत्य का आनंद लेने, ओपन थियेटर की सीढ़ियां आकर्षक बनाने और प्रत्येक सीढ़ी के साथ रंगीन लाइट लगाने का प्रस्ताव था।

इसी के साथ इस स्थान को ऐसे विकसित किया जाना था जहां पर सांस्कृतिक रंगकर्मी अपनी कला का प्रदर्शन कर सकेंगे। काव्य व साहित्य मंच भी सके, प्रोजेक्टर पर भी फिल्म आदि दिखाने की व्यवस्था होनी थी। अब यहां धूल का गुबार उड़ रहा है। पेड़-पौधे देख रेख के अभाव में सूख रहे हैं। रंगीन टाइल्स और पत्थर दरककर गिर रहे हैं। आसपास के लोगों का कहना है लगाई गई महंगी लाइटें भी गुम होती जा रही हैं।
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