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यूपी में 400 करोड़ की जीएसटी चोरी: मास्टरमाइंड सहित दो गिरफ्तार, 144 फर्जी फर्म की थी तैयार, ट्रक से खुला राज

अमर उजाला नेटवर्क, मुरादाबाद Published by: विमल शर्मा Updated Sun, 23 Nov 2025 01:07 PM IST
सार

मुरादाबाद की एसआईटी ने बेरोजगारों के दस्तावेज़ों पर 144 फर्जी फर्म बनाकर 400 करोड़ की जीएसटी चोरी करने वाले मास्टरमाइंड इखलाक और उसके सहयोगी इत्तेफात आलम को गिरफ्तार कर लिया है। इखलाक की डायरी से 535 फर्मों का रिकॉर्ड मिला। गिरोह के छह सदस्य और सरगना अभी फरार हैं।

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GST theft worth Rs 400 crore in UP: Mastermind and two others arrested, secrets revealed from two trucks
मुरादाबाद में पकड़े गए आरोपी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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नाैकरी औैर लोन दिलाने के नाम पर बेरोजगारों के दस्तावेजों के सहारे दो मोबाइल नंबर पर देशभर में 144 फर्जी फर्म बनाकर करीब 400 करोड़ की जीएसटी चोरी के मामले में एसआईटी ने मास्टर माइंड इखलाक और उसके सहयोगी इत्तेहात आलम उर्फ दानिश कबाड़ी को गिरफ्तार कर लिया। दोनों के कब्जे से एक मोबाइल फोन, आठ एटीएम कार्ड, एक पॉलिसी बाजार कार्ड और तीन आधार कार्ड बरामद किए गए हैं।

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वहीं आरोपी की डायरी में 535 फर्मों का विवरण मिला है। साथ ही मास्टर माइंड के बैंक खाते की जानकारी भी मिली है। इस मामले में एसआईटी को गिरोह के सरगना समेत छह अन्य सदस्यों की तलाश है। मुरादाबाद पुलिस लाइन में शनिवार को एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार और सीओ वरुण सिंह ने राज्य कर अधिकारियों के साथ करोड़ों की जीएसटी का खुलासा किया।
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उन्होंने बताया कि लोहे लदे दो ट्रक पकड़े जाने के बाद राज्य कर के अधिकारी की तहरीर पर एके इंटरप्राइजेज और सौरभ इंटरप्राइजेज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद एसएसपी की ओर से गठित एसआईटी ने जांच शुरू कर दी। छानबीन में पता चला कि फर्मों में पंजीकृत दो मोबाइल नंबरों पर 144 फर्में पंजीकृत थीं।

विवेचना के आधार पर मेरठ जिले के शास्त्रीनगर नौचंदी निवासी मो. इखलाक और शाहजहांपुर जिले के चमकनी गरिपुरा निवासी इत्तेफात आलम उर्फ दानिश कबाड़ी को पूछताछ के लिए एसआईटी ने बुलाया। इसके बाद परत दर परत खुलती चली गई। बाद में जीएसटी चोरी के आरोप में एसआईटी ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में इखलाक ने स्वीकार किया कि उसने अन्य छह लोगों के साथ मिलकर चार से पांच करोड़ की अवैध कमाई की है। गिरफ्तार इत्तेफात आलम इखलाक के सहयोगी के रूप में कार्य करता रहा है। इकलाख की डायरी में 535 फर्मों का विवरण पाया गया है। इस गिरोह का सरगना अभी तक एसआईटी के हाथ नहीं आया है। एसआईटी गिराेह में शामिल छह अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है।

जीएसटी चोरी के मामले में एसआईटी ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी गिरोह के अन्य लोगों की तलाश करने के लिए टीमें काम कर रहीं हैं। मास्टर माइंड इखलाक से मिली जानकारी के आधार पर जांच जारी है। - सुभाष चंद्र गंगवार, एसपी क्राइम एवं एसआईटी प्रभारी

यह था मामला
मुरादाबाद में राज्य कर विभाग के अधिकारियों ने 24 और 25 अक्तूबर को चेकिंग के दौरान दो ट्रक पकड़े थे। इन ट्रकों से जीएसटी चोरी करके सरिया ले जाया जा रहा था। अफसरों ने जांच की तो पता चला कि दो मोबाइल नंबरों पर 144 फर्जी फर्में पंजीकृत कराई गई थीं। इन फर्मों पर 400 से अधिक की टैक्स चोरी की बात सामने आई।

इस मामले में सिविल लाइंस थाने में 31 अक्तूबर को दो प्राथमिकी दर्ज कराई थी। यह एफआईआर राज्यकर विभाग के वरिष्ठ सहायक पिकू कुमार और वरिष्ठ सहायक प्रमोद कुमार की तहरीर पर दर्ज की गई थी। बाद में इन केसों की जांच के लिए एसएसपी सतपाल अंतिल ने एसपी क्राइम सुभाषचंद्र गंगवार के नेतृत्व में 11 सदस्य एसआईटी गठित की।

दिल्ली के काॅल सेंटरों से लिया डाटा
एसआईटी के अनुसार फर्जी फर्मों के लिए गिरोह ने दिल्ली में चल रहे काॅल सेंटरों से डाटा हासिल किया था। यहां नौकरी और लोन देने के लिए सोशल मीडिया पर प्रचार किया गया। इसके बाद यहां बेरोजगारों के जमा किए दस्तावेजों से डाटा लिया और ओटीपी लेकर फर्जी फर्में खोल दी गईं।

हर फर्म के बदले काॅल सेंटर को मिलते थे 30 हजार से डेढ़ लाख रुपये
दिल्ली का काॅल सेंटर इकलाख से प्रत्येक फर्म के बदले 30 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक लेता था। कॉल सेंटर से प्राप्त फर्जी जीएसटी फर्मों का यूजर नेम और पासवर्ड व्हाट्सएप के माध्यम से सीए को उपलब्ध कराता था। इनका उपयोग कर सीए फर्जी ई-वे बिल आदि दस्तावेज तैयार करता था। इसी प्रक्रिया में प्रयुक्त मोबाइल नंबर एके एंटरप्राइजेज और सौरभ एंटरप्राइजेज दोनों में प्रयोग किया गया।

अंकित और सौरभ दोनों बेरोजगार पाए गए
एसपी क्राइम ने बताया कि सिविल लाइंस थाने में मास्टर माइंड अंकित और उसके साथी सौरभ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जांच में आया कि फर्म मालिक अंकित कुमार और सौरभ कुमार बेरोजगार हैं। नौकरी दिलाने और लोन दिलाने के नाम पर दोनों के दस्तावेजों पर फर्जी फर्में खोली गईं थीं।

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