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संभल के बाद मुरादाबाद: 44 साल बाद खुला गौरीशंकर मंदिर का गर्भगृह, खोदाई में मिली मूर्तियां...माैके पर पुलिस

अमर उजाला नेटवर्क, मुरादाबाद Published by: विमल शर्मा Updated Mon, 30 Dec 2024 05:44 PM IST
सार

मुरादाबाद के झब्बू का नाला मोहल्ले में 43 साल बाद गौरीशंकर मंदिर का गर्भगृह खोला गया। इसमें शिवलिंग मिला है। 1980 के दंगों के बाद बंद इस मंदिर को पुजारी के पोते की अर्जी पर प्रशासन ने इसे खोला।

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Moradabad: Sanctum sanctorum of Gaurishankar temple opened after 43 years, idols found during excavation
मुरादाबाद में खोले गया गाैरीशंकर मंदिर का गर्भगृह - फोटो : वीडियो ग्रैब
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विस्तार
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मुरादाबाद प्रशासन ने 44 साल के बाद दौलतबाग इलाके में स्थित प्राचीन गौरीशंकर मंदिर का दरवाजा सोमवार को खुलवाया। यह मंदिर 1980 के दंगे में पुजारी की हत्या के बाद से बंद था। मंदिर के गर्भगृह को पाट दिया गया था, खोदाई करने पर शिव परिवार की खंड़ित मूर्तियां मिली हैं।

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मौके से 1954 का नक्शा मिलने का दावा किया गया है। डीएम अनुज सिंह को शिकायत मिली थी कि दौलतबाग इलाके में झब्बू के नाले के पास स्थित मंदिर 1980 से बंद है। डीएम के निर्देश पर प्रशासन की टीम ने मौके पर शिकायतकर्ता लाइनपार निवासी सेवा राम को सोमवार को मौके पर बुलाया।
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इसके बाद स्थानीय लोगों की मौजूदगी में मंदिर का दरवाजा खुलावाया गया। मंदिर खुलने की जानकारी मिलने पर लोगों की भीड़ लग गई। प्रशासन ने अतिक्रमण हटावा कर गंदगी साफ करवाया। शिकायतकर्ता सेवा राम का दावा है कि यह मंदिर लगभग 150 साल पुराना है।

मंदिर की जमीन उसके परदादा भीमसेन के नाम पर है। उसके परदादा के बाद दादा गंगा सरन यहां पर पूजा पाठ करते थे। 1980 के दंगे में उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद परिवार के लोग मझोला के लाइन पार क्षेत्र रहने लगे। आरोप लगाया कि मौका पर लोगों ने मंदिर की मूर्तियां खंडित कर दी थीं।

परिवार के लोग मंदिर का दरवाजा खोलने जाते थे तो स्थानीय लोग इसका विरोध करते थे। कुछ लोगों ने मंदिर की जमीन पर कब्जा भी कर लिया। सेवा राम ने इस संबंध में डीएम को 27 दिसंबर को शिकायती पत्र सौंपा था।

डीएम के निर्देश पर एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह और एसडीएम सदर राममोहन मीना ने मंदिर स्थल का जायजा लिया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने बैठक कर मंदिर के दरवाजे खुलवाने का निर्णय लिया।

प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार कराने की मांग

कथा व्यास धीरशांत दास ने बताया कि मंदिर बहुत ही प्राचीन है। मौके से 1954 का नक्शा बरामद हुआ है। दीवारें और खंभे खुद गवाही दे रहे हैं कि मंदिर 150-200 साल पुराना है। 1980 में दंगे के दौरान पुजारी की हत्या होने पर बहुसंख्यक हिंदू परिवार उस समय पलायन कर गया था।

मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाना चाहिए। समाजसेवी अनिल सिक्का का कहना है कि मंदिर की जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया था। अब अतिक्रमण हटाकर पूरी जमीन प्रशासन को दिलाना चाहिए।

जनमानस की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए एक टीम गठित कर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। मंदिर की मरम्मत कराए जाने के साथ-साथ यहां रंगाई-पुताई का कार्य भी किया जाएगा। -दिव्यांशु पटेल, नगर आयुक्त, मुरादाबाद

 

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