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ज्ञानी को नहीं अपितु भक्त को दर्शन देते हैं भगवान:- श्याम गोविन्द दास
केवल ज्ञानी होने से भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती।भगवान ज्ञानी को नहीं बल्कि भक्त को सहजता के साथ दर्शन देते हैं।प्रभु पर सच्ची निष्ठा और आस्था की वजह से हिरण्यकश्यप प्रह्लाद का कुछ भी अनिष्ट नहीं कर पाए।
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पाकबड़ा। केवल ज्ञानी होने से भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती। भगवान ज्ञानी को नहीं बल्कि भक्त को सहजता के साथ दर्शन देते हैं। भगवान को पाने के लिए सरल बनना होता है। जो जितना सरल होता है। भगवान की प्राप्ति भी उसे उतनी ही सरलता से हो जाती है। जब तक मनुष्य किसी भी प्रकार के अंहकार से ग्रस्त रहता है, तब तक उसे प्रभु के दर्शन नहीं होते। उक्त विचार वृंदावन से पधारे भागवत मर्मज्ञ परम संत वृंदावन वाले श्याम गोविन्द दास महाराज ने पाकबड़ा नगर पंचायत में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कहा है। श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन वामन अवतार की कथा के साथ ही प्रहलाद चरित्र एवं भगवान श्रीहरि के परम भक्त धुव्र जी की कथा प्रसंगों को महाराज श्री ने सुनाया। वामन अवतार की मनोहर झांकी में पाकबड़ावासी डूबे रहे।
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कथा का सुनाते हुये महाराज जी ने की भागवत कथा सुनना और भगवान को अपने मन में बसाने से व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आता है। भगवान हमेशा आपने भक्त को पाना चाहता है। जितना भक्त भगवान के बिना अधूरा है उतना ही अधूरा भगवान भी भक्त के बिना है। भगवान ज्ञानी को नही अपितु भक्त को दर्शन देते हैं। और सच्चे मन से ही भगवान प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते थे। उनके पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानते थे। पुत्र को भगवान विष्णु की भक्ति करते देख उन्होंने उसे ही जान से मारने की ठान ली। प्रभु पर सच्ची निष्ठा और आस्था की वजह से हिरण्यकश्यप प्रह्लाद का कुछ भी अनिष्ट नहीं कर पाए। वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ तथा अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता और यह भी बताया कि यह धनसंपदा क्षणभंगुर होती है। इसलिए इस जीवन में परोपकार करों। उन्होंने कहा कि अहंकार, गर्व, घृणा और ईर्ष्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यदि हम संसार में पूरी तरह मोहग्रस्त और लिप्त रहते हुए सांसारिक जीवन जीते है तो हमारी सारी भक्ति एक दिखावा ही रह जाएगी। कथा के दौरान वामन अवतार की झांकी दिखाई गई और तेरे द्वार खड़ा भगवान भगत भर दे रे झोली पर श्रद्घालु भाव विभोर हो उठे। इस मौके पर रामबाबू भटनागर, राजीव भटनागर, रमेश प्रताप सिंह, आर्दश गुप्ता, हरिनारयण गुप्ता, दिनेश रूहेला, खचेडू सिंह प्रजापति, मोहित शर्मा, राजीव शर्मा, देवेन्द्र सिंह, जितेन्द्र सिंह, सत्यपाल सिंह, श्याम रूहेला, आदि समेत अनकों लोग उपस्थित थे।
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