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डेंगू पर डॉक्टरों और लैब का खेल, होगी कार्रवाई
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डेंगू जांच रिपोर्ट
- फोटो : SAHARANPUR
सहारनपुर। डेंगू को लेकर डॉक्टरों और पैथोलॉजी लैब का खेल शुरू हो गया है। कुछ निजी डॉक्टर और निजी लैब मिलकर पॉजिटिव रिपोर्ट दिए बगैर ही मरीजों को डेंगू होना बता रहे हैं। जांच के नाम पर लैब और इलाज के नाम पर डॉक्टरों द्वारा मोटी कमाई की जा रही है।
मुजफ्फराबाद ब्लाक में निजी पैथोलॉजी लैब का ऐसा ही खेल सामने आया है, जिसमें मरीज को डेंगू बताया जा रहा है, लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। मुजफ्फराबाद सीएचसी प्रभारी डॉ. अशोक कुमार ने तीन निजी लैब की शिकायत मलेरिया अधिकारी से की है। उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में कुछ पैथोलॉजी लैब एक किट दिखाकर जांच कर रही हैं। वहीं, शहरी क्षेत्र में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लैब और डॉक्टर ने मरीज को डेंगू होना बताया, मगर जांच रिपोर्ट में एनएस-1 रिएक्टिव और नॉन- रिएक्टिव लिखा जा रहा है। चिकित्सा विभाग रिएक्टिव को ना तो पॉजिटिव मानता है और ना ही निगेटिव। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह मरीज को भ्रमित करने के लिए लिखा जा रहा है। इस खेल में डॉक्टर और लैब मिले हुए हो सकते हैं।
जांच और इलाज के नाम पर कमाई
निजी पैथोलॉजी लैब डेंगू की जांच किट से करती हैं। किट से डेंगू की जांच के लिए 800 से 1000 रुपये लिए जाते हैं। जबकि किट की जांच को शत प्रतिशत सही नहीं माना जाता है। कमाई के लिए जानबूझकर किट से डेंगू की जांच कराई जाती है। इसमें भी ज्यादातर निजी चिकित्सकों का कमीशन तय होता है। यदि डेंगू पॉजिटिव दिखा दिया है और मरीज घर पर ही इलाज ले रहा है तो 500 से 1000 रुपये तक खर्च होते है। यदि प्लेटलेट्स कम हो जाएं तो फिर भर्ती कर इलाज के नाम पर कमाई की कोई सीमा नहीं है। प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए प्लेटलेट्स के अलावा जंबो पैक आते हैं, जिसकी कीमत 15000 रुपये तक है।
आईएमए को लिखा गया है पत्र
डेंगू और मलेरिया के मरीजों की सूचना देने के लिए सीएमओ कार्यालय से आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की जिला कार्यकारिणी को पत्र लिखा गया है। संबंधित अधिकारी ने बताया कि अभी तक निजी डॉक्टरों और लैब के द्वारा मरीजों के बारे में सूचनाएं ना के बराबर दी गई हैं।
जनपद में अभी तक डेंगू के 23 ही मरीज मिले हैं। निजी लैब और डॉक्टरों से सूचनाएं देने को कहा गया था, मगर सूचनाएं नहीं दी जा रही हैं। कुछ लैब रिपोर्ट पर रिएक्टिव लिखकर डेंगू होना बता रही हैं, जबकि रिएक्टिव कुछ नहीं होता है या तो पॉजिटिव होता है या निगेटिव। कुछ लैब को नोटिस भेजे गए हैं। मुजफ्फराबाद से तीन लैब की शिकायत आई है, जिन पर कार्रवाई की जा रही है।
शिवांका गौड़, जिला मलेरिया अधिकारी।
वर्जन
निजी डॉक्टरों और पैथोलॉजी लैब से सहयोग की अपील की गई है। यदि उनके पास कोई डेंगू या मलेरिया का मरीज आता है तो सूचना विभाग को देंगे। रही बात जांच रिपोर्ट में खेल करने की तो शिकायत मिलने पर संबंधित के खिलाफ सख्त की कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. संजीव मागलिक, सीएमओ।
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मुजफ्फराबाद ब्लाक में निजी पैथोलॉजी लैब का ऐसा ही खेल सामने आया है, जिसमें मरीज को डेंगू बताया जा रहा है, लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। मुजफ्फराबाद सीएचसी प्रभारी डॉ. अशोक कुमार ने तीन निजी लैब की शिकायत मलेरिया अधिकारी से की है। उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में कुछ पैथोलॉजी लैब एक किट दिखाकर जांच कर रही हैं। वहीं, शहरी क्षेत्र में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लैब और डॉक्टर ने मरीज को डेंगू होना बताया, मगर जांच रिपोर्ट में एनएस-1 रिएक्टिव और नॉन- रिएक्टिव लिखा जा रहा है। चिकित्सा विभाग रिएक्टिव को ना तो पॉजिटिव मानता है और ना ही निगेटिव। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह मरीज को भ्रमित करने के लिए लिखा जा रहा है। इस खेल में डॉक्टर और लैब मिले हुए हो सकते हैं।
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जांच और इलाज के नाम पर कमाई
निजी पैथोलॉजी लैब डेंगू की जांच किट से करती हैं। किट से डेंगू की जांच के लिए 800 से 1000 रुपये लिए जाते हैं। जबकि किट की जांच को शत प्रतिशत सही नहीं माना जाता है। कमाई के लिए जानबूझकर किट से डेंगू की जांच कराई जाती है। इसमें भी ज्यादातर निजी चिकित्सकों का कमीशन तय होता है। यदि डेंगू पॉजिटिव दिखा दिया है और मरीज घर पर ही इलाज ले रहा है तो 500 से 1000 रुपये तक खर्च होते है। यदि प्लेटलेट्स कम हो जाएं तो फिर भर्ती कर इलाज के नाम पर कमाई की कोई सीमा नहीं है। प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए प्लेटलेट्स के अलावा जंबो पैक आते हैं, जिसकी कीमत 15000 रुपये तक है।
आईएमए को लिखा गया है पत्र
डेंगू और मलेरिया के मरीजों की सूचना देने के लिए सीएमओ कार्यालय से आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की जिला कार्यकारिणी को पत्र लिखा गया है। संबंधित अधिकारी ने बताया कि अभी तक निजी डॉक्टरों और लैब के द्वारा मरीजों के बारे में सूचनाएं ना के बराबर दी गई हैं।
जनपद में अभी तक डेंगू के 23 ही मरीज मिले हैं। निजी लैब और डॉक्टरों से सूचनाएं देने को कहा गया था, मगर सूचनाएं नहीं दी जा रही हैं। कुछ लैब रिपोर्ट पर रिएक्टिव लिखकर डेंगू होना बता रही हैं, जबकि रिएक्टिव कुछ नहीं होता है या तो पॉजिटिव होता है या निगेटिव। कुछ लैब को नोटिस भेजे गए हैं। मुजफ्फराबाद से तीन लैब की शिकायत आई है, जिन पर कार्रवाई की जा रही है।
शिवांका गौड़, जिला मलेरिया अधिकारी।
वर्जन
निजी डॉक्टरों और पैथोलॉजी लैब से सहयोग की अपील की गई है। यदि उनके पास कोई डेंगू या मलेरिया का मरीज आता है तो सूचना विभाग को देंगे। रही बात जांच रिपोर्ट में खेल करने की तो शिकायत मिलने पर संबंधित के खिलाफ सख्त की कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. संजीव मागलिक, सीएमओ।