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Sambhal Violence: सांसद बर्क के कहने पर सर्वे रोकने को रिजवान ने जुटाई थी भीड़, सीडीआर से मिले सबूत

अमर उजाला नेटवर्क, संभल Published by: आकाश दुबे Updated Fri, 20 Jun 2025 12:11 PM IST
सार

Sambhal News: सांसद के व्यक्तिगत सहायक अब्दुल रहमान के पिता रिजवान की भूमिका भीड़ को एकत्र करने में सामने आई है। सांसद के कहने पर रिजवान ने ही फोन कर जामा मस्जिद के आसपास इलाके के साथ सरायतरीन से भीड़ को सर्वे रोकने के लिए बुलाया था। पुलिस ने चार्जशीट में लिखा है कि रिजवान जामा मस्जिद में इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काम भी करता है।

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Sambhal Violence Rizwan had gathered a crowd to stop survey at behest of MP Burke
संभल हिंसा - फोटो : संवाद
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विस्तार
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Ziaur Rahman Barq:  जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुए बवाल का मुख्य साजिशकर्ता तो पुलिस ने सांसद जियाउर्रहमान बर्क और जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट को माना है। चार्जशीट में इसका उल्लेख भी किया गया है। इसके अलावा सांसद के व्यक्तिगत सहायक अब्दुल रहमान के पिता रिजवान की भूमिका भीड़ को एकत्र करने में सामने आई है। सांसद के कहने पर रिजवान ने ही फोन कर जामा मस्जिद के आसपास इलाके के साथ सरायतरीन से भीड़ को सर्वे रोकने के लिए बुलाया था। यह सभी खुलासे रिजवान की सीडीआर सामने आने के बाद हुए थे। 

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पुलिस ने चार्जशीट में लिखा है कि रिजवान जामा मस्जिद में इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काम भी करता है। पुलिस ने आगे की छानबीन की तो भीड़ एकत्र करने की पुष्टि हुई। जिन लोगों से फोन पर बातचीत हुई थी। उनकी भूमिका की जांच करने पर वह भी बवाल की साजिश में शामिल पाए गए। इन सभी 23 आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर दी है। इसमें कुछ गिरफ्तार किए गए हैं। जबकि कुछ को धारा 35 (3) का नोटिस दिया गया है।

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चार्जशीट के अनुसार 24 नवंबर की सुबह सर्वे होगा। इसकी जानकारी जब जामा मस्जिद कमेटी के सदर को हुई तो उन्होंने 23 नवंबर की देर रात में ही सबसे पहले यह सूचना सांसद को दी थी। सांसद ने कहा था कि सर्वे नहीं होने देना है। भीड़ को एकत्र किया जाए और इसके बाद रिजवान के फोन पर भी कई बार सांसद ने बातचीत की। जिसमें भीड़ को एकत्र करने और सर्वे होने से रोकने का संदेश दिया गया। इसके चलते सर्वे को रोकने के लिए बड़ी तादाद में भीड़ एकत्र हुई और बवाल किया। जफर अली पर आरोप है कि उन्होंने पूरी साजिश को सांसद के साथ मिलकर रचा और बवाल के बाद प्रेसवार्ता कर झूठे बयान दिए। जो गंभीर अपराध के संबंध में दिए गए थे। अलग-अलग दौर की पूछताछ में वह कोई साक्ष्य नहीं दे सके और उन्होंने कबूल किया कि सांसद ने ही भीड़ एकत्र करने के लिए कहा था। इसके बाद ही भीड़ एकत्र हुई। जामा मस्जिद कमेटी सदर 23 मार्च से जेल में बंद हैं।

इन लोगों के खिलाफ दाखिल हुई है चार्जशीट
सांसद जियाउर्रहमान बर्क, जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट, आसिफ, दानिश, मुजम्मिल, सुभान, जमशेद आलम, रफीक अली, आसिम, अब्दुल रहमान, रिजवान, हाजी राशिद, लड्डन खां, मुमताज, इतरत हुसैन, मताहिर हुसैन, अब्दुल माबूद खान, मोहसिन, आरिश, गिलमान, जाहिद अली, अल्तमश, मुजम्मिल खान।

चार्जशीट में 14 लोगों की गवाही भी शमिल
24 नवंबर को हुए बवाल में एसआईटी ने जांच शुरू की तो साक्ष्य एकत्र करने के साथ बयान भी दर्ज किए। एसआईटी ने इस मुकदमे में 14 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। यह वह लोग हैं जो बवाल के दौरान मौके पर मौजूद थे। इसमें पुलिस के साथ अधिवक्ता भी शामिल हैं। जिन्होंने पूरे बवाल को देखा था। इन गवाहों के बयान भी अहम साबित होंगे। 1100 पन्नों की चार्जशीट एसआईटी ने दाखिल की है।

जामा मस्जिद कमेटी के सदर समेत छह पदाधिकारी आरोपी बनाए गए
जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट तो 23 मार्च से जेल में बंद है। उन पर बवाल की साजिश करने और गंभीर अपराध में झूठे बयान देने जैसे गंभीर आरोप है। इसके अलावा चार्जशीट में पांच और पदाधिकारी आरोपी बनाए गए हैं। इनमें से किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। पुलिस ने धारा 35 (3) का नोटिस तामील कराया है।

सुहेल इकबाल के खिलाफ नहीं मिला सबूत
सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल पर 24 नवंबर 24 को बवाल में भीड़ को उकसाने का आरोप लगा था। सांसद के साथ सुहेल इकबाल को नामजद करते हुए 700-800 अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। इसमें 23 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो गई है। सुहेल इकबाल की भूमिका बवाल में नहीं पाई गई। मौके पर सुहेल इकबाल के होने की पुष्टि हुई थी। इसके चलते ही एसआईटी ने सुहेल इकबाल को क्लीन चिट दी है।

22 नवंबर को जामा मस्जिद के बाहर खड़े होकर दिया गया बयान सांसद के लिए मुसीबत बना
सांसद ने 22 नवंबर को जामा मस्जिद के बाहर खड़े होकर कहा था कि मस्जिद का सर्वे गलत किया जा रहा है। यह मस्जिद थी और मस्जिद ही रहेगी। इसी तरह की बयानबाजी से सांसद की मुसीबत बढ़ी है। पुलिस ने चार्जशीट में इस बयान का जिक्र भी किया है और बवाल की जड़ इसी बयान से पनपने की बात कही है। इस बयान के बाद अतिसंवेदनशील स्थिति बनी और 24 नवंबर को बवाल हो गया। पुलिस इस बयान को भी सबूत के तौर पर अहम मान रही है। जिसको कोर्ट में पेश किया जाएगा।

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