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Shravasti News: जिद पर अड़ी गलन, परदे में रहा सूरज

Lucknow Bureau लखनऊ ब्यूरो
Updated Mon, 22 Dec 2025 12:50 AM IST
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The melting was stubborn, the sun remained hidden.
सरसो के फसल में लगे फूल व छाए बादल। - फोटो : सरसो के फसल में लगे फूल व छाए बादल।
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श्रावस्ती। तराई में बीते तीन दिनों से सूर्यदेव के दर्शन न होने से ठंड के तेवर बेहाल कर रहे हैं। तेज पछुआ हवा लोगों में सिहरन पैदा कर रही है। लोग घरों से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। पूरा दिन अलाव तापते बीत रहा है। किसानों को डर है कि लगातार कई दिनों तक पाला पड़ता रहा तो सब्जी व तिलहन की फसलों को नुकसान हो सकता है।
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तराई में रविवार को भी सूरज पूरे दिन बादलों की ओट में छिपा रहा। एक सप्ताह पूर्व दिन में चटख धूप खिल रही थी। इसके बाद सूरज की बादलों से लुकाछिपी शुरू हो गई। बीते तीन दिनों से सूर्यदेव के दर्शन ही नहीं हुए हैं। ऐसे में गलन भरी ठंड लोगों को कांपने पर मजबूर कर रही है। बर्फीली हवाओं से बढ़ी गलन से फसलों पर भी दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गई है। इसमें सबसे अधिक आलू व तिलहन की फसल को नुकसान हो सकता है। रविवार को सुबह कोहरा तो नहीं था, लेकिन गलन बरकरार रही। मौसम विशेषज्ञ के अनुसार रविवार को अधिकतम तापमान 18 डिग्री और न्यूनतम 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शनिवार के मुकाबले अधिकतम तापमान में एक डिग्री की वृद्धि हुई, लेकिन न्यूनतम तापमान में एक डिग्री की गिरावट दर्ज की गई।
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यह बोले किसान
गलन बढ़ने के साथ ही आलू व तिलहनी फसलों के किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। किसान अंगद प्रसाद ने बताया कि यदि इसी तरह से फसलों पर पाला पड़ता रहा तो सरसों की फसल खराब हो जाएगी। वहीं, आलू की खेती करने वाले नानबच्चा का कहना है कि अधिक पाला पड़ने से आलू का पौधा सूख जाता है। इससे आलू बहुत छोटे हो जाते हैं। कई पौधों में आलू की फसल लगती ही नहीं है।

फसलों को पाला से बचाने के लिए करें उपाय
प्रभारी जिला कृषि अधिकारी बलजीत बहादुर वर्मा ने बताया कि अभी फिलहाल फसलों को कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ है। यदि इसी तरह चार से छह दिनों तक मौसम रहा तो फसलों को नुकसान हो सकता है। इससे बचने के लिए आलू के खेतों में पोटाश का छिड़काव करें, साथ ही नालियों में हल्की सिंचाई करें। वहीं, तिलहनी फसलों में अभी फूल आ रहा है इससे उसे कोई बहुत नुकसान नहीं होगा। छीमियों में दानों के भराव के समय यदि ऐसा मौसम हुआ तो माहू रोग का खतरा बढ़ेगा। इसके लिए रसायनों का प्रयोग किया जा सकता है।
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