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Siddharthnagar News: बढ़ती ठंड में गोशाला में इंतजाम के अभाव में ठिठुर रहे बेजुबान
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Sun, 21 Dec 2025 11:43 PM IST
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जोगिया ब्लाक के ग्राम पंचायत धनगढिया स्थित गोशाला में ठंड से ठिठुरते पशु। संवाद
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सिद्धार्थनगर। चार दिन से तापमान में लगातार गिरावट हो रही है। बढ़ी ठंड के बाद भी यहां बचाव के इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसकी वजह से गोशाला में पशु ठंड से कांपते नजर आए। यह हाल तब है, जब ठंड शुरू होने से पहले गोशाला में बचाव के लिए पर्याप्त पॉलिथीन की घेराई, जूट का बोरा और अन्य जरूरी इंतजाम के निर्देश थे। यह एक नहीं बल्कि जिले की अधिकांश गोशालाओं का हाल है।
बता दें कि जिले के विभिन्न स्थानों पर छुट्टा पशुओं के रख-रखाव के लिए 73 स्थायी व अस्थायी गोशाला बनाए गए है, जिनमें 15 हजार से अधिक पशुओं के संरक्षित होने का दावा है। रविवार को इन गोशाला में कहीं हरी घास नहीं थी तो कहीं सूखा भूसा और खुले आसमान में पशु बैठे नजर आए।
गोशाला में पशुओं के चारा व रख-रखाव के लिए हर महीने निर्धारित धनराशि आवंटित होती है। इस तरह पशुओं के खाने पर लाखों रुपये भी खर्च किए जाते हैं। जब इसकी हकीकत परखने के लिए संवाद न्यूज एजेंसी की टीम मौके पर पहुंची तो गोशाला में कड़ाके की ठंड से पशु ठिठुरते नजर आए। भनवापुर प्रतिनिधि के अनुसार एक सप्ताह से पड़ रही कड़ाके की ठंड में गोशाला में गोवंश ठिठुर रहे हैं। यहां न तो हरा चारा है और न ही ठंड से बचाव के इंतजाम है। क्षेत्र के बिजौरा गोशाला राप्ती नदी के तट पर बना है, बिना टाट पट्टी और पल्ली के राप्ती नदी के पानी से टकरा कर आ रही हांड़ कंपाने वाली ठंडी हवा के बीच गोवंश एक-दूसरे से सटे खड़े होकर बच रहे हैं। यहां शुद्ध पीने का पानी व सड़ा भूसा के सहारे गोवंश जीवित हैं।
इसी तरह परसोहिया तिवारी, डिवलीडीहा चौबे, बभनी, तरहर गोशालाओं में ग्राम प्रधान व सचिवों के मनमानी का दंश गोवंशीय को झेलना पड़ रहा है। तरहर की गोशाला में ठंड के कारण हर तीसरे दिन एक गोवंश की मौत हो जा रही है, जिसे ग्राम प्रधान के द्वारा बगल में गड्ढा खोदवाकर उसी में दफना दिया जाता है। कठौतिया गोकुल व महतिनियां खुर्द गोशालाओं को छोड़ कर ब्लाॅक क्षेत्र के किसी गोशाला में समुचित व्यवस्था नहीं है। क्षेत्र में प्रवीण, माधव, नरेंद्र, पंकज आदि ने गोशालाओं में सुधारने की मांग की है। काऊ कोट का नहीं है इंतजाम : शोहरतगढ़। क्षेत्र के संतोरी गोशाला और जोगिया ब्लाॅक धनगढिया और सियाव नानकार के गोशाला में पशुओं को ठंड से बचाने के लिए तिरपाल लगाया गया है, लेकिन पशुओं को ठंड से बचाने के लिए काऊ कोट की व्यवस्था नहीं पाई गई है। गोशाला परिसर में अलाव की व्यवस्था भी नहीं है। सियाव नानकार के कर्मचारी अंकित त्यागी ने बताया कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए काऊ कोट की मांग की गई है
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बता दें कि जिले के विभिन्न स्थानों पर छुट्टा पशुओं के रख-रखाव के लिए 73 स्थायी व अस्थायी गोशाला बनाए गए है, जिनमें 15 हजार से अधिक पशुओं के संरक्षित होने का दावा है। रविवार को इन गोशाला में कहीं हरी घास नहीं थी तो कहीं सूखा भूसा और खुले आसमान में पशु बैठे नजर आए।
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गोशाला में पशुओं के चारा व रख-रखाव के लिए हर महीने निर्धारित धनराशि आवंटित होती है। इस तरह पशुओं के खाने पर लाखों रुपये भी खर्च किए जाते हैं। जब इसकी हकीकत परखने के लिए संवाद न्यूज एजेंसी की टीम मौके पर पहुंची तो गोशाला में कड़ाके की ठंड से पशु ठिठुरते नजर आए। भनवापुर प्रतिनिधि के अनुसार एक सप्ताह से पड़ रही कड़ाके की ठंड में गोशाला में गोवंश ठिठुर रहे हैं। यहां न तो हरा चारा है और न ही ठंड से बचाव के इंतजाम है। क्षेत्र के बिजौरा गोशाला राप्ती नदी के तट पर बना है, बिना टाट पट्टी और पल्ली के राप्ती नदी के पानी से टकरा कर आ रही हांड़ कंपाने वाली ठंडी हवा के बीच गोवंश एक-दूसरे से सटे खड़े होकर बच रहे हैं। यहां शुद्ध पीने का पानी व सड़ा भूसा के सहारे गोवंश जीवित हैं।
इसी तरह परसोहिया तिवारी, डिवलीडीहा चौबे, बभनी, तरहर गोशालाओं में ग्राम प्रधान व सचिवों के मनमानी का दंश गोवंशीय को झेलना पड़ रहा है। तरहर की गोशाला में ठंड के कारण हर तीसरे दिन एक गोवंश की मौत हो जा रही है, जिसे ग्राम प्रधान के द्वारा बगल में गड्ढा खोदवाकर उसी में दफना दिया जाता है। कठौतिया गोकुल व महतिनियां खुर्द गोशालाओं को छोड़ कर ब्लाॅक क्षेत्र के किसी गोशाला में समुचित व्यवस्था नहीं है। क्षेत्र में प्रवीण, माधव, नरेंद्र, पंकज आदि ने गोशालाओं में सुधारने की मांग की है। काऊ कोट का नहीं है इंतजाम : शोहरतगढ़। क्षेत्र के संतोरी गोशाला और जोगिया ब्लाॅक धनगढिया और सियाव नानकार के गोशाला में पशुओं को ठंड से बचाने के लिए तिरपाल लगाया गया है, लेकिन पशुओं को ठंड से बचाने के लिए काऊ कोट की व्यवस्था नहीं पाई गई है। गोशाला परिसर में अलाव की व्यवस्था भी नहीं है। सियाव नानकार के कर्मचारी अंकित त्यागी ने बताया कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए काऊ कोट की मांग की गई है
