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Siddharthnagar News: जैकेट-कंबल की बढ़ी मांग, तस्कर हो रहे मालामाल
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Mon, 22 Dec 2025 12:06 AM IST
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बढ़नी बार्डर से नेपाल में कैरियर के माध्यम से तस्करी करते हुए कंबल का खेप।
- फोटो : राम जानकी इंटर कॉलेज के मैदान में किशोरी टूर्नामेंट में सम्मानित बच्चे।
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सिद्धार्थनगर/शोहरतगढ़। ठंड बढ़ने के साथ बॉर्डर पर गर्म कपड़ों की तस्करी बढ़ गई है। बस, पिकअप और अन्य छोटे वाहनों से कंबल, जैकेट, बच्चों का स्वेटर, ब्लेजर आदि की खेप बाॅर्डर के पार पहुंचाई जा रही है।
हरियाणा, पानीपत, दिल्ली के करोल बाग, चांदनी चौक से दर्जन और सैकड़े के हिसाब से बेचे जाने वाले इन सामानों का बॉर्डर पार होते प्रति पीस के हिसाब से हिसाब-किताब हो रहा है।
टैक्स बचाने के इस खेल में पूरी सप्लाई चेन लगी है, जिससे राजस्व का चूना तो लग ही रहा है। वहीं तस्कर मालामाल हो रहे हैं। लगभग 10 दिन पहले ककरहवा बाॅर्डर पर दिल्ली से नेपाल की बस में बिना टैक्स के कपड़ों की खेप जब्त की गई थी, जिसके बाद इसका खुलासा हुआ है।
सूत्रों की मानें तो सर्दी का मौसम शुरू होते ही भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी करने वालों का गिरोह सक्रिय हो जाता है। तस्करी से जुडे धंधेबाज कंबल और गर्म कपड़ों के साथ-साथ जैकेट को भारी मात्रा में खरीद कर भारत-नेपाल से सटे बढ़नी, कोटिया, बानगंगा, खुनुवां, पकडीहवा और बजहा के सीमाई इलाकों में स्टोर कर लेते हैं। उसके बाद मौका देखते ही कैरियर के माध्यम से इन्हीं क्षेत्रों की पगडंडियों से इन्हें नेपाल में पहुंचा दिया जाता है।
तस्करी के इस खेल में लाखों रुपये कस्टम टैक्स का चूना लगा दिया जाता है। यह खेल कहीं न कहीं कुछ अंदर के सफेदपोशों की मदद से किया जाता है, जिनकी मिलीभगत से तस्कर बड़ा कारोबार करते हैं।
ऊनी कंबल, ब्लैंकेट का पानीपत में थोक बाजार पूरे भारत विख्यात है। इस बाजार से कारोबारी सर्दी आते ही भारी मात्रा में अलग-अलग वैरायटी के गर्म कपड़ों, कंबल और जैकेट की खरीदारी कर स्टोर करते हैं।
इन्हीं कारोबारी के गठजोड़ से तस्कर भारत-नेपाल से सटे बढ़नी, कोटिया, बानगंगा, खुनुवां, पकडीहवा और बजहा के सीमाई इलाकों में स्टोर कर लेते हैं।
मौका देखते हुए तस्कर कैरियर के माध्यम से सीमा पार नेपाल पहुंचा रहे हैं। इसी तरह ठंड की शुरुआत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब के लुधियाना और संतकबीरनगर के बरदहिया मार्केट से गर्म कपड़ों की खरीदारी कारोबारी भारी मात्रा में कर लाते हैं।
वहां पर थोक में जैकेट, स्वेटर, साल सहित आदि गर्म कपड़े 100 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक में मिल जाते हैं।
पानीपत के बाजार से कंबल 100 से एक हजार रुपये में मिल जाता है। यही कंबल नेपाल में नेपाली मुद्रा में छह से सात हजार रुपये में बेच दिया जाता है।
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हरियाणा, पानीपत, दिल्ली के करोल बाग, चांदनी चौक से दर्जन और सैकड़े के हिसाब से बेचे जाने वाले इन सामानों का बॉर्डर पार होते प्रति पीस के हिसाब से हिसाब-किताब हो रहा है।
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टैक्स बचाने के इस खेल में पूरी सप्लाई चेन लगी है, जिससे राजस्व का चूना तो लग ही रहा है। वहीं तस्कर मालामाल हो रहे हैं। लगभग 10 दिन पहले ककरहवा बाॅर्डर पर दिल्ली से नेपाल की बस में बिना टैक्स के कपड़ों की खेप जब्त की गई थी, जिसके बाद इसका खुलासा हुआ है।
सूत्रों की मानें तो सर्दी का मौसम शुरू होते ही भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी करने वालों का गिरोह सक्रिय हो जाता है। तस्करी से जुडे धंधेबाज कंबल और गर्म कपड़ों के साथ-साथ जैकेट को भारी मात्रा में खरीद कर भारत-नेपाल से सटे बढ़नी, कोटिया, बानगंगा, खुनुवां, पकडीहवा और बजहा के सीमाई इलाकों में स्टोर कर लेते हैं। उसके बाद मौका देखते ही कैरियर के माध्यम से इन्हीं क्षेत्रों की पगडंडियों से इन्हें नेपाल में पहुंचा दिया जाता है।
तस्करी के इस खेल में लाखों रुपये कस्टम टैक्स का चूना लगा दिया जाता है। यह खेल कहीं न कहीं कुछ अंदर के सफेदपोशों की मदद से किया जाता है, जिनकी मिलीभगत से तस्कर बड़ा कारोबार करते हैं।
ऊनी कंबल, ब्लैंकेट का पानीपत में थोक बाजार पूरे भारत विख्यात है। इस बाजार से कारोबारी सर्दी आते ही भारी मात्रा में अलग-अलग वैरायटी के गर्म कपड़ों, कंबल और जैकेट की खरीदारी कर स्टोर करते हैं।
इन्हीं कारोबारी के गठजोड़ से तस्कर भारत-नेपाल से सटे बढ़नी, कोटिया, बानगंगा, खुनुवां, पकडीहवा और बजहा के सीमाई इलाकों में स्टोर कर लेते हैं।
मौका देखते हुए तस्कर कैरियर के माध्यम से सीमा पार नेपाल पहुंचा रहे हैं। इसी तरह ठंड की शुरुआत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब के लुधियाना और संतकबीरनगर के बरदहिया मार्केट से गर्म कपड़ों की खरीदारी कारोबारी भारी मात्रा में कर लाते हैं।
वहां पर थोक में जैकेट, स्वेटर, साल सहित आदि गर्म कपड़े 100 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक में मिल जाते हैं।
पानीपत के बाजार से कंबल 100 से एक हजार रुपये में मिल जाता है। यही कंबल नेपाल में नेपाली मुद्रा में छह से सात हजार रुपये में बेच दिया जाता है।
