UP Politics: सेना फ्रंटफुट पर, दबाव में पीएम बैकफुट पर; कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कही ये बात
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध को लेकर सरकार पर तंज किया। कहा कि सेना फ्रंटफुट पर रही और दबाव में पीएम बैकफुट पर आ गए। कहा कि देश भाषण नहीं सच्चाई जानना चाहता है।
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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भारतीय सेना फ्रंटफुट पर है और वही अमेरिकी दबाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैकफुट पर हैं। देश भाषण नहीं सच्चाई जानना चाहता है। सीमा पर रक्षा कर रहे हर वीर जवान के कौशल और साहस को कांग्रेस पार्टी और देशवासी नमन करते हैं। हम सबको भारतीय सेना पर गर्व है।
उन्होंने कहा, पहलगाम आतंकी हमले के बाद कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत से ही सरकार का साथ दिया। हमने कहा कि हम सरकार और सेना के साथ पूरी एकजुटता से खड़े हैं, चाहे वे कोई भी कदम उठाएं। हमने ऑपरेशन सिंदूर का पूरा समर्थन किया था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा कर दी कि उन्होंने वाशिंगटन में रहकर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवा दिया।
ट्रंप के इस बयान पर प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ कहा ही नहीं। प्रधानमंत्री मोदी को कई सवालों के जवाब देने हैं, लेकिन वे चुप हैं। पिछले 2 हफ्तों में 2 सर्वदलीय बैठक हुई है, जिनमें प्रधानमंत्री मोदी मौजूद नहीं थे। ऐसे में कोई चर्चा नहीं हो पाई।
उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी मांग करती है की पीएम एक बैठक बुलाकर सभी विपक्षी नेताओं को विश्वास में लें। साथ ही बताएं कि राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार जो न्यूट्रल साइट पर बातचीत की बात कह रहे हैं, उसकी सच्चाई क्या है? अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप, उप-राष्ट्रपति और सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के बयानों पर हमारा क्या रुख है। हमारे विदेश मंत्री चुप हैं, एनएसए चुप हैं और प्रधानमंत्री तो ऐसे मामलों में चुप्पी तोड़ते ही नहीं हैं। हालांकि 19 जून 2020 को उन्होंने चुप्पी तोड़ते हुए चीन को क्लीनचिट दे दी थी, जिसके कारण हम कमजोर पड़ गए थे।
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उन्होंने बताया कि जब हमने कारगिल युद्ध जीता था तो उसके सिर्फ 3 दिन बाद 29 जुलाई 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कारगिल समीक्षा समिति का गठन किया था। इस समिति की अध्यक्षता रक्षा मामलों के विशेषज्ञ के. सुब्रह्मण्यम ने की थी, जो विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पिता हैं। कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट को संसद में पेश भी किया गया था, लेकिन क्या सरकार अब कोई विश्लेषण करेगी? क्या प्रधानमंत्री मोदी देश की जनता और विपक्ष को विश्वास में लेकर सवालों के जवाब देंगे, क्योंकि ये बेहद गंभीर मामला है।