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कफ सिरप केस: पुश्तैनी कारोबार कोयले का, दवा और शराब से दिवेश ने बनाई संपत्ति; शुभम जायसवाल का है करीबी

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Wed, 10 Dec 2025 02:13 PM IST
सार

Varanasi News: वाराणसी में कफ सिरप मामले को लेकर लगातार एसआईटी की टीम अलग- अलग खुलासे कर रही है। उधर, कफ सिरप तस्करी के सरगना शुभम जायसवाल के करीबी खोजवा निवासी दिवेश जायसवाल की गिरफ्तारी को लेकर एसआईटी दबिश दे रही है।

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Cough syrup case accused Divesh amassed wealth from ancestral coal medicine and alcohol businesses in varanasi
दिवेश जायसवाल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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कोडीनयुक्त कफ सिरप सिंडिकेट के सरगना शुभम जायसवाल के करीबी खोजवा निवासी दिवेश जायसवाल की गिरफ्तारी को लेकर एसआईटी दबिश दे रही है। फर्जी कूटरचित दस्तावेज से ड्रग लाइसेंस बनवाने के माहिर दिवेश दवा के अलावा शराब कारोबार भी करता है। शराब के 40 ठेके दिवेश ने अपने सगे संबंधियों और साथियों को दिलवाए। 

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एसआईटी की जांच में सामने आया कि दिवेश अपने पिता के साथ पुश्तैनी फुटकर कोयला व्यापार में हाथ बंटाता था। पांच साल से कुछ लोगों के साथ मिलकर दवा का काम शुरू किया। इसके बाद दवा के बड़े कारोबारियों के संपर्क में आया और ड्रग लाइसेंस का पंजीकरण कराया। ड्रग लाइसेंस का चेन बनाने वाले दिवेश ने मोहल्ले और अन्य क्षेत्रों के बेरोजगार युवकों को साथ जोड़ा। घर बैठे 40 से 50 हजार महीने की आमदनी का झांसा दिया। 
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हुकुलगंज के विशाल जायसवाल और बादल आर्य भी जुड़े, जिन्हें रविवार को गिरफ्तार किया गया। जांच में सामने आया कि दिवेश ने कफ सिरप में कदम रखने के बाद शराब और बियर ठेके में भी किस्मत आजमाई। बताया जा रहा है कि सिंडिकेट में डाले गए 90 फर्म में 40 दुकान दिवेश के हाथ लगी है। दिवेश की फर्म डीएसए फार्मा समेत अन्य चिह्नित हुई हैं। 

दिवेश और अंकुश दोनों पड़ोसी, दोनों पर प्राथमिकी है दर्ज 

डीएसए फार्मा के प्रोपराइटर दिवेश और उसके पड़ोसी महाकाल फार्मा के प्रोपराइटर अंकुश सिंह के खिलाफ भी कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज है। दिवेश और अंकुश साथ-साथ कफ सिरप के अवैध कारोबार में संलिप्त है। अंकुश उत्तराखंड के नैनीताल का है, यहां अपने जीजा के मकान में रहता है।

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बनवाया था ड्रग लाइसेंस, 40 हजार प्रति माह देता था
कफ सिरप की खरीद और बिक्री के मामले में कोलकाता से गिरफ्तार निशांत फार्मा के प्रोपराइटर प्रतीक मिश्रा और विश्वनाथ मेडिकल एजेंसी के प्रोपराइटर विशाल सोनकर को एसआईटी ने मंगलवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया। एसआईटी की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि शुभम जायसवाल के भरोसेमंद खोजवा निवासी डीएसए फार्मा के प्रोपराइटर दिवेश जायसवाल ने ड्रग फर्म का पंजीकरण और बैंक खाता खुलवाया था। एवज में 30 से 40 हजार रुपये प्रति महीने देता था। फर्म से खरीद-बिक्री और रुपये के लेनदेन का पूरा ब्योरा दिवेश अपने पास ही रखता था। बाद में मालूम चला कि दोनों फर्म से 15 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है।

कफ सिरप कांड में सुनवाई टली

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-2 की अदालत में कफ सिरप कांड में फर्म के दस कारोबारियों ने आत्मसमर्पण करने के लिए अपने अधिवक्ता के माध्यम से अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी लेकिन थाने से आख्या नहीं आने पर अब 10 दिसंबर की तिथि नियत की गई है। सोमवार को अदालत ने थाना कोतवाली से विस्तृत आख्या तलब की थी। अदालत में दस आरोपियों की ओर से उनके अधिवक्ता ने अर्जी दी है। अर्जी में कहा गया कि उक्त अपराध में कारोबारियों को फर्जी एवं मनगढ़ंत तथ्यों के आधार पर अभियुक्त बना दिया गया। पुलिस द्वारा तलाश की जा रही है। दबिश भी दी जा रही है।

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