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Abdul Kalam: जब डॉक्टर कलाम ने दीक्षांत में अपने लिए लगी बड़ी कुर्सी हटवा दी, BHU में चार बार आए थे मिसाइल मैन
अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी
Published by: अमन विश्वकर्मा
Updated Sat, 27 Jul 2024 05:53 PM IST
सार
Varanasi News: देश के मिसाइल मैन कहे जाने वाले भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम जानेमाने वैज्ञानिक भी रहे। 27 जुलाई 2015 को उन्होंने अंतिम सांस ली। वाराणसी के विभिन्न शिक्षण और निजी संस्थाओं में उनकी पुण्यतिथि भी मनाई गई।
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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ डॉ. लालजी सिंह।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम का काशी, बीएचयू और आईआईटी बीएचयू से पुराना नाता रहा है। वह दोनों संस्थानों में लगभग चार बार आए थे। बीएचयू दीक्षांत समारोह में 2006 में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे।
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इसके बाद छह मार्च 2008 को वह सारनाथ स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हायर तिब्बतियन स्टडीज में दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल होने आए। दूसरे दिन उन्होंने बीएचयू में विद्यार्थियों और फैकल्टी को भी संबोधित किया था। आईटी से आईआईटी बनने के बाद 2013 में संस्थान के पहले दीक्षांत समारोह में उन्होंने तीन साल के मेधावियों को डिग्रियां दी थीं।
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2013 में जब वह आईआईटी बीएचयू के दीक्षांत समारोह में पहुंचे तो मंच पर लगी मुख्य अतिथि की बड़ी कुर्सी देखकर उसे हटवा दिया। एकबारगी लोग नहीं समझ पाए कि क्या हो रहा है, लेकिन बाद में जब उनके लिए भी मंच पर साधारण कुर्सी लगाई गई तो लोगों को डॉक्टर कलाम का मर्म समझ आया।
2013 से पहले 90 के दशक में भी वह आईआईटी में व्याख्यान देने आए थे। इसके अलावा बीएचयू का विजिटिंग प्रोफेसर होने के नाते भी उनका आना-जाना हुआ था।
आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि आईआईटी बीएचयू में लोगों ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से तब से सीखना शुरू कर दिया था, जब वह उतने प्रसिद्ध नहीं हुए थे।
अमूमन लोग अपनी सफलताओं का गुणगान करते रहते हैं, मगर डॉ. कलाम ऐसी शख्सियत थे, जो सार्वजनिक तौर पर भी सफलताओं के बजाय अपनी असफलताओं का जिक्र किया करते थे। इस नजरिये के साथ वह संदेश देते थे कि असफलताएं कमजोरी नहीं, बल्कि शिक्षा होती हैं।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ अपना संस्मरण साझा करते हुए प्रो. त्रिपाठी कहते हैं कि उनसे किसी भी विषय पर बात की जा सकती थी। वह कहते थे कि अगर सही मार्गदर्शन मिले तो हर आदमी योग्य होता है।
पूर्ण रूप से शाकाहारी डॉ. कलाम के साथ बातचीत के दौरान महसूस होता था कि वह सामने वाले को ही ज्यादा काबिल होने का एहसास करा रहे हों। आईआईटी बीएचयू के दो बार के दौरे के दौरान वह अक्सर सतीश धवन के बारे में बातें किया करते थे।