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Varanasi News: 51 कलश के जल से 16 घंटे भीगे भगवान जगन्नाथ, पड़े बीमार; 15 दिन करेंगे विश्राम

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Thu, 12 Jun 2025 04:21 PM IST
सार

साल में एक दिन भक्तों को भगवान जगन्नाथ को स्पर्श और स्नान कराने का अवसर मिलता है। अस्सी घाट से निकली जलयात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ हर-हर महादेव का जयकारा गूंजता रहा। 

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Lord Jagannath soaked in water from 51 urns for 16 hours in varanasi
51 कलश के जल से 16 घंटे भीगे भगवान जगन्नाथ - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र का भक्तों ने जलाभिषेक कर उनसे सुख समृद्धि की कामना की। ट्रस्ट श्री जगन्नाथ जी के तत्वाधान में सुबह पांच बजे अस्सी घाट से जलयात्रा निकाली गई। 51 मिट्टी के कलशों में गंगाजल भरकर श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा का जलाभिषेक किया। साल में एक बाद ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही भक्तों को भगवान को स्पर्श करने और उन्हें स्नान कराने का सौभाग्य मिलता है।

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बुधवार को सुबह पांच बजे से शुरू हुआ जलाभिषेक का सिलसिला रात 12 बजे तक अनवरत चलता रहा। बीच में भगवान को 12 बजे से तीन बजे तक तीन घंटे का विश्राम कराया गया। श्रद्धालुओं ने भगवान का 16 घंटे तक गंगाजल से अभिषेक किया।
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मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित राधेश्याम पांडेय ने ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी दीपक शापुरी की उपस्थिति में भगवान का मिट्टी के 51 घड़ों में रखे गंगाजल से जलाभिषेक कर उनका नयनाभिराम शृंगार कर भव्य आरती उतारी। ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह, ट्रस्ट के सचिव शैलेश त्रिपाठी, प्रो. गोपबंधु मिश्रा, डॉ. शुकदेव त्रिपाठी, उत्कर्ष श्रीवास्तव समाजसेवी रामयश मिश्र उपस्थित थे।

ट्रस्ट के सचिव शैलेश त्रिपाठी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि भक्तों के अत्यधिक जलाभिषेक के कारण भगवान बीमार पड़ जाते हैं और एक पखवारे तक आराम करते हैं। उस दोरान भगवान को रोज काढ़े का भोग लगता है। 15 दिन आराम करने के बाद जगन्नाथ मंदिर से डोली में बैठकर भगवान भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं। रथयात्रा पर तीन दिन का विश्वप्रसिद्ध मेला लगता है। 

समाजसेवी एवं पर्यावरण प्रहरी रामयश मिश्र ने कहा कि भगवान जगन्नाथ के जलाभिषेक से हमें यह सीख मिलती है कि किसी चीज की अति बुरी है। जलाभिषेक में हरीश वलिया, आशु त्रिपाठी, दिलीप मिश्रा, गीता शास्त्री, नवीन, कमलेश सहित हजारों की संख्या में भक्ति शामिल थे।

दो सौ साल पहले हुआ करता था असि नदी के जल से अभिषेक
समाजसेवी रामयश मिश्र ने बताया कि लगभग 200 साल पहले भगवान जगन्नाथ का असि नदी के जल से ही अभिषेक हुआ करता था। भगवान जगन्नाथ के मंदिर के बगल से ही असि नदी का प्रवाह था। वर्तमान में तो असि नदी का अस्तित्व समाप्त हो चुका है।

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