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शहर में बिना मास्क पहने निकलना खतरनाक : अस्पताल में दोगुना हुए श्वांस के मरीज, COPD का शिकार हो रहें बुजुर्ग

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Mon, 04 Nov 2024 12:05 PM IST
सार

Varanasi News : बीएचयू के साथ जिला और मंडलीय अस्पताल में श्वांस और अस्थमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। युवा दमा को लेकर परेशान हैं तो बुजुर्ग क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से। दीपावली पर पटाखों के जलने के बाद उठे धुएं ने इनकी मुसीबत बढ़ा दी है।

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Respiratory problems increase Diwali crackers Hospital patients double elderly becoming victims of COPD
वाराणसी के कई इलाकों में वायु प्रदूषण। - फोटो : Adobe stock
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विस्तार
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दिवाली के बाद पटाखों से खराब हुई हवा ने श्वांस रोगियों की तादाद बढ़ा दी है। दमा और अस्थमा अटैक के केसेज बढ़ गये हैं। बीएचयू, मंडलीय और जिला अस्पतालों की इमरजेंसी में पहले के मुकाबले श्वांस मरीज 2-3 गुना ज्यादा आ रहे हैं।

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युवाओं को दमा की समस्या, तो वहीं बुजुर्ग सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के शिकार हो रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि सीओपीडी के इसलिये बढ़े, क्योंकि जो पहले से ही श्वांस रोग की दवा का सेवन कर रहे थे, उन लोगों के लिये ये प्रदूषण आग में घी काम कर रहा है।

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फेफड़े, अस्थमा और दिल की बीमारी बढ़ा रही हवा
दिवाली के बाद दो दिन से वाराणसी की हवा यलो जोन में बनी हुई है। रविवार को एक्यूआई यानी कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 132 अंक पर पहुंच गया है। 173 अंक एक्यूआई के साथ शहर में सबसे खराब हवा मलदहिया की रही। 

इसके बाद भेलूपुर का एक्यूआई 153 अंक, अर्दली बाजार का 134 अंक और बीएचयू का 66 अंक रहा। एक्यूआई का स्तर 100 से ज्यादा होना श्वांस से जुड़े रोगों के साथ ही फेफड़ों, अस्थमा और दिल की बीमारियों को दावत देता है। धुएं की वजह से शहर में पीएम 2.5 का स्तर 328 अंक तक पहुंच गया है। इसके बाद पीएम 10 का स्तर 164 अंक और कार्बन मोनो आक्साइड अधिकतम 118 अंक पर पहुंच गया है।

दिवाली बाद मास्क ही बचा सकता है अस्पताल से
बीएचयू के रिटायर्ड और पूर्व टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष प्रो. जी एन श्रीवास्तव ने बताया कि इन दिनों सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में श्वांस की समस्याओं से ग्रसित लोग आने लगे हैं। मौसम भी तेजी से बदल रहा है। सूरज की रोशनी ठीक से न आने की वजह से प्रदूषण आसमान में काफी निचले स्तर पर ही है। हवा टॉक्सिक हो रही है। आंखों में भी जलन हो रही है।

शासन को इससे बचाने के लिये सड़कों पर स्प्रिंक्लर से पानी का छिड़काव करना चाहिये। लोगों को अब मास्क ही अस्पताल के चक्कर लगाने से बचा सकता है। मास्क श्वांस में जाने वाली हवा में प्रदूषण की मात्रा को कम से कम 50 प्रतिशत तो कम ही कर देता है।

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