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कोरबा में श्याम सुंदर पाराशर बोले- जो व्यक्ति हिंदू हित की बात करता है उसे सांप्रदायिक करार दे दिया जाता है
कोरबा ब्यूरो
Updated Fri, 19 Dec 2025 12:54 PM IST
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श्रमवीर स्टेडियम दीपका में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा व्यास पं. श्याम सुंदर पाराशर महाराज ने प्रेस से चर्चा के दौरान कहा कि कृष्ण कथा एक मधुर औषधि है, जिसे होम्योपैथिक दवा की तरह चूस-चूसकर ग्रहण करने से जन्म-मरण रूपी व्याधि से धीरे-धीरे छुटकारा मिलता जाता है। उन्होंने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते कहा कि व्यास पीठ से मनमुखी या काल्पनिक बातें नहीं होनी चाहिए, बल्कि केवल वेदव्यास की वाणी का ही अनुमोदन होना चाहिए। आज जो व्यक्ति हिंदू हित की बात करता है, उसे सांप्रदायिक करार दे दिया जाता है, जबकि ऋषि-मुनियों का ज्ञान-विज्ञान नवयुवकों तक पहुंचना अत्यंत आवश्यक है। कथावाचक पाराशर महाराज ने ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का उल्लेख करते हुए कहा कि दीप जलाने की परंपरा भारतीय ऋषि संस्कृति की देन है, जिसे तुष्टिकरण की नीति और विधर्मी सोच ने नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी मानसिक गुलामी की चपेट में है, ऐसे में नवयुवकों के लिए श्रीमद् भागवत का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह हमारी विडंबना है कि आज विदेशी लोग भारतीय संस्कृति और संस्कारों को अपना रहे हैं, जबकि हमारी नई पीढ़ी अपनी जड़ों को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हो रही है। समय रहते युवा संस्कृति की समझ नहीं रखेंगे तो आने वाले दिनों में इसका परिणाम घातक हो सकता है। पहले देश में लाखों गुरुकुल हुआ करते थे लेकिन आज गिनती के ही गुरुकुल शेष रह गए हैं। जिससे ऋषि मुनियों की प्राचीन परंपरा धीरे-धीरे समाप्त होते जा रही है। अभिभावकों को अपने बच्चों को सत्संग का महत्व बताकर ज्ञान का प्रकाशपुंज खोलना चाहिए, जिससे वह अपनी सनातन संस्कृति को भूल न सके। प्रेस से चर्चा के दौरान कथा व्यास ने श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि पूर्व जन्म में यशोदा माता और नंद बाबा ने भगवान श्रीकृष्ण को अपनी गोद में खिलाने की मनोकामना मांगी थी, जिसे पूर्ण करने के लिए भगवान ने उनके यहां अवतार लिया। ग्वालियर में जन्मे श्यामसुंदर महाराज 12 वर्ष की उम्र में वृंदावन ज्योतिष शिक्षा ग्रहण करने गए थे किंतु वहां विद्यालय में भागवत का कथा प्रतिदिन होता था ,जिसको सुन सुनकर वह भागवत कथा में आकर्षित हो गए।16 वर्ष की उम्र से अभी तक 1250 भागवत कथा का वाचन पूरे देश में अभी तक कर चुके हैं। इनके शिष्य पाकिस्तान में रहकर इनके द्वारा लिखे गए पुस्तक का पढ़कर श्रीमद् भागवत कथा का उर्दू में अनुवाद कर पाठ कर रहे हैं। विदेश में अंग्रेजी में भी अनुवाद कर कथा का पाठ शिष्यों के द्वारा कराया जा रहा है।
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