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चरखी-दादरी में चार पाठशालाओं को आज भी खुद के भवन का इंतजार
शिक्षा विभाग और सरकार की ओर से बुनियादी शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के कसीदे पढ़े जा रहे हैं। दूसरी ओर, दादरी जिले में हकीकत यह है कि जिला शिक्षा विभाग संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। शहर स्थित चार प्राथमिक पाठशालाओं के पास खुद का भवन न होना इसकी बानगी है।
भवन की कमी के चलते तीन प्राथमिक स्कूलों की कक्षाएं धर्मशालाओं में जबकि चौथे की पीएमश्री राजकीय कन्या स्कूल के मंच पर लग रही हैं। इतना ही नहीं, यहां विभिन्न कक्षाओं में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों को एकसाथ बैठाकर पढ़ाई कराई जा रही है। किसी प्राइमरी स्कूल को 46 साल तो किसी को 68 साल बाद भी खुद का भवन मिलने का इंतजार है।
बता दें कि दादरी शहर में पांच प्राथमिक पाठशालाएं हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में संचालित हैं। संवाददाता ने इनका जायजा लिया तो चार प्राथमिक पाठशालाएं ऐसी मिलीं जिनके पास खुद की छत तक नहीं है। लंबा समय बीतने के बाद भी शिक्षा विभाग इन पाठशालाओं का भवन नहीं बनवा पाया है और पुराने ढर्रे पर धर्मशाला जैसी जगहों पर बैठकर विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने को विवश हैं।
मजबूरी: धर्मशाला में हुआ आयोजन तो करनी पड़ती है छुट्टी
आलम यह है कि अगर धर्मशाला में कोई सामाजिक या धार्मिक आयोजन हो तो बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है। अहम बात यह है कि विभागीय अधिकारियों के संज्ञान में मामला होते हुए भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है जबकि उनका यह प्रयास बच्चों की नींव मजबूत करने में कारगर सिद्ध होगा। वहीं, एक ही जगह पर विभिन्न कक्षाएं लगने से विद्यार्थियों का ध्यान भटकता है और इसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है।
जानिये...कौन-सी पाठशाला कितनी पुरानी
केस:1- रविदास बस्ती राजकीय प्राइमरी पाठशाला
रविदास बस्ती राजकीय प्राइमरी पाठशाला वर्ष 1978 में शुरू की गई थी। 47 साल बाद भी पाठशाला स्थानीय धर्मशाला में चल रही है और अब तक विभाग भवन निर्माण के लिए जगह नहीं तलाश पाया है। संस्था के अधीन भवन में चल रही पाठशाला को को खाली करवाने के लिए कई बार विवाद भी हुए हैं। फिलहाल संस्था के पदाधिकारियों ने स्कूल के लिए एक कमरा व बरामदा उपलब्ध करवाया हुआ है, जिसमें टाट-पट्टी पर बैठकर 65 विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। यहां के लिए मिले 62 ड्यूल डेक्स जगह की कमी के कारण राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल में रखवाने पड़े।
केस:2- बधवाना गेट प्राइमरी पाठशाला
हीरा चौक के पास बधवाना गेट धर्मशाला का निर्माण वर्ष 1933 में करवाया गया था। वर्ष 1954 में धर्मशाला परिसर में प्राइमरी पाठशाला शुरू की गई थी। 71 साल गुजर जाने के बाद भी पाठशाला का खुद का भवन विभाग नहीं बना पाया है। यहां विद्यार्थियों को आवश्यक मूलभूत सुविधाएं तो मिल रही हैं, लेकिन भवन पुराने होने के चलते मरम्मत कार्य के लिए सरकारी ग्रांट नहीं मिल रही और सामाजिक लोगों को ही यह काम कराना पड़ रहा है। इस स्कूल में करीब 150 विद्यार्थी अध्ययनरत्त हैं और उनकी सुविधाओं में इजाफा करने के लिए पाठशाला भवन निर्माण की दरकार है।
केस:3- कबीर नगर प्राइमरी पाठशाला
हरिजन आश्रम में राजकीय प्राइमरी पाठशाला वर्ष 1965 में शुरू की गई थी। आश्रम परिसर गली के लेवल से नीचा है और इसके चलते बारिश के दिनों में सीवर ओवरफ्लो होने पर सीवर मैनहोल की गंदगी स्कूल के गेट तक पहुंच जाती है। इतना ही नहीं कई दफा तो आश्रम परिसर के अंदर भी दूषित पानी भर जाता है। संस्था ने 80 बच्चों के लिए दो कमरे, हॉल व बरामदा दिया हुआ है और एक कमरे में कार्यालय बनाया गया है। यहां ड्यूल डेस्क न होने के चलते विद्यार्थी दरी पर बैठकर पढ़ाई करने को विवश हैं। करीब छह दशक बीत जाने के बाद भी विभाग पाठशाला का भवन नहीं बनवा पाया है।
केस:4- काठमंडी प्राइमरी पाठशाला
काठमंडी क्षेत्र में लघु सचिवालय के समीप राजकीय प्राइमरी पाठशाला संचालित की जाती थी। पाठशाला का भवन पुराना होने के चलते तोड़ दिया गया और तीन साल बीतने के बाद भी नए भवन की प्रक्रिया तक शुरू नहीं हुई है। पाठशाला में पढ़ने वाले करीब 155 विद्यार्थियों को पीएमश्री राजकीय कन्या स्कूल परिसर में मंच पर बैठाया जा रहा है। शिक्षक मंच और एक कमरे में ही सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को बैठाकर पढ़ाई कराने को विवश हैं। विभाग को जल्द नया भवन बनवाना चाहिए।
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