Hindi News
›
Video
›
Haryana
›
Hisar News
›
Diseases affecting mustard crop in Haryana: Symptoms of root rot, wilt and uprooting were observed
{"_id":"690ee6a1006b2f6e62080a62","slug":"video-diseases-affecting-mustard-crop-in-haryana-symptoms-of-root-rot-wilt-and-uprooting-were-observed-2025-11-08","type":"video","status":"publish","title_hn":"हरियाणा में सरसों की फसल पर रोगों का प्रकोप: जड़ गलन, फुलिया और उखेड़ा के लक्षण दिखे","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
हरियाणा में सरसों की फसल पर रोगों का प्रकोप: जड़ गलन, फुलिया और उखेड़ा के लक्षण दिखे
प्रदेश के कई जिलों में सरसों की फसल पर जड़ गलन, फुलिया और उखेड़ा जैसी बीमारियों के लक्षण सामने आए हैं। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (एचएयू) ने किसानों को चेतावनी देते हुए कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से बचने और वैज्ञानिक सलाह के अनुसार छिड़काव करने की अपील की है।
कुलपति प्रो. बी.आर. कांबोज की अपील
प्रो. कांबोज ने बताया कि सरसों हरियाणा की एक प्रमुख रबी फसल है, जो राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देती है। वर्ष 2024-25 में इसे 6.68 लाख हेक्टेयर में उगाया गया था, जबकि इस बार इसका क्षेत्रफल 7 लाख हेक्टेयर तक रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष अधिक वर्षा, उच्च आर्द्रता और कम तैयार भूमि में बुवाई होने के कारण फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसी परिस्थितियों में बीज उपचार नहीं करने वाले किसानों के खेतों में जड़ गलन, फुलिया व उखेड़ा रोग तेजी से फैल रहे हैं।
रोग की पहचान और रोकथाम
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि जड़ गलन मुख्यतः फ्यूजेरियम, राइजोक्टोनिया और स्क्लेरोटियम नामक फफूंद से होती है।
उन्होंने कहा कि जिन खेतों में पौधे मुरझा रहे हों या जड़ों पर सफेद फफूंद दिखे, वहां किसान कार्बेन्डाजिम 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव दोहराएं।
डॉ. गर्ग ने आगे बताया कि फुलिया रोग में पत्तियों की निचली सतह पर सफेद फफूंद जम जाती है और पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं। इस स्थिति में किसान मैन्कोज़ेब (डाइथेन एम-45) या मेटलैक्सिल 4% + मैन्कोज़ेब 64% दवा का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के अनुपात में छिड़काव करें।
अगर जड़ गलन और पत्तियों पर धब्बे दोनों एक साथ दिखाई दें, तो कार्बेन्डाजिम 0.1% और मैन्कोज़ेब 0.25% का टैंक मिश्रण तैयार कर छिड़काव करना उपयोगी रहेगा।
सिंचाई पर विशेष ध्यान दें
तिलहन अनुभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राम अवतार ने कहा कि सिंचाई के बाद पौधों के मुरझाने और शक्ति कम होने का प्रमुख कारण खेत में अधिक समय तक पानी जमा रहना है। उन्होंने किसानों को हल्की सिंचाई करने और पहली सिंचाई 10 दिन देरी से करने की सलाह दी है।
फसल स्वास्थ्य निगरानी जारी
पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश पूनियां ने कहा कि जिन खेतों में पहली सिंचाई के बाद पत्तियां मुरझा रही हैं, वहां किसान कार्बेन्डाजिम 50% WP (1 ग्राम) और स्टेप्टोसाइक्लीन (0.3 ग्राम) प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के फार्म निदेशक डॉ. सुरेंद्र सिंह धनखड़, डॉ. सुरेंद्र यादव, डॉ. संदीप आर्य, डॉ. नीरज कुमार और डॉ. राजबीर सहित कई वैज्ञानिक मौजूद रहे।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।