{"_id":"68ef482fc0bb27c6760b18e0","slug":"video-kangra-becomes-leading-district-in-natural-farming-2025-10-15","type":"video","status":"publish","title_hn":"कांगड़ा बना प्राकृतिक खेती का अग्रणी जिला, 358 किसानों से खरीदा 836.94 क्विंटल गेहूं","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
कांगड़ा बना प्राकृतिक खेती का अग्रणी जिला, 358 किसानों से खरीदा 836.94 क्विंटल गेहूं
प्राकृतिक खेती आज समय की आवश्यकता बन चुकी है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से जहां मिट्टी की उर्वरक क्षमता प्रभावित हो रही है, वहीं पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में प्राकृतिक खेती किसानों के लिए एक टिकाऊ, लाभकारी और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प बनकर उभर रही है। हिमाचल प्रदेश सरकार भी प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है और इसमें जिला कांगड़ा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिला कांगड़ा में कृषि परंपरागत रूप से जीवन का मुख्य आधार रही है। यहां के अधिकांश किसान लघु और सीमांत वर्ग के हैं, जिनके पास खेती योग्य भूमि सीमित है। ऐसे किसान प्राकृतिक खेती अपनाकर कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं। चूंकि प्राकृतिक खेती में गोबर, गोमूत्र, जीवामृत, बीजामृत, नीम आदि का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इससे मिट्टी की सेहत भी सुधरती है और उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ती है। प्राकृतिक खेती के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए अतमा परियोजना के परियोजना निदेशक डाॅ. राज कुमार ने बताया कि प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2024-25 में 51.89 लाख रुपये व्यय कर 358 किसानों से प्राकृतिक रूप से उगाई गई 836.94 क्विंटल गेहूं खरीदी गई। इसी प्रकार 4.83 लाख रुपये व्यय कर 13 किसानों से प्राकृतिक खेती से प्राप्त 53.69 क्विंटल हल्दी कर खरीदी गई। उन्होंने कहा कि किसान अब रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं और बाजार में भी प्राकृतिक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। परियोजना निदेशक ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, प्रोत्साहन राशि और विपणन सुविधा उपलब्ध करा रही है। साथ ही जिला कांगड़ा में विभिन्न केंद्रों पर किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीकें सिखाई जा रही हैं। धर्मशाला के समीपवर्ती गांव त्रैंम्बलू के किसान सुरेश कमार प्राकृतिक खेती को अपनाकर अलग-अलग फसलों की खेती कर रहे हैं। गांव मट की किसान कमला देवी ने बताया कि वे वर्ष 2021 से प्राकृतिक खेती कर रही हैं। इस कार्य के लिए उन्हें आतमा परियोजना के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। गांव भडवाल की किसान मीनाक्षी और अलका ने बताया कि आतमा परियोजना की प्रेरणा से उन्होंने धान के साथ माह (उड़द) की खेती आरंभ की है। इससे उनके खेतों में बेहतर उपज हो रही है और रासायनिक खादों की आवश्यकता भी समाप्त हो गई है। उपायुक्त कांगड़ा हेम राज बैरवा ने प्राकृतिक खेती को समय की आवश्यकता बताते हुये कहा कि आने वाले समय में कांगड़ा जिला न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश में प्राकृतिक खेती का एक माॅडल बन सकता है।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।