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High alert in Mathura-Vrindavan, situation out of control due to flood, many villages submerged
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मथुरा-वृंदावन में हाई अलर्ट, बाढ़ से हालात बेकाबू, कई गांव डूबे
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 05 Sep 2025 09:37 AM IST
बरसात का मौसम उत्तर भारत पर कहर बनकर टूट रहा है। पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश ने यमुना का जलस्तर खतरनाक स्तर से ऊपर पहुंचा दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर मथुरा-वृंदावन और आस-पास के इलाकों पर पड़ा है। घाटों से बहकर निकली यमुना अब सड़कों और कॉलोनियों में घुस चुकी है। प्रशासन ने शुक्रवार और शनिवार को हाई अलर्ट घोषित कर दिया है और हालात बेकाबू होते जा रहे हैं।
बीते 24 घंटे में यमुना का जलस्तर 166.40 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से 56 सेंटीमीटर अधिक है। हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए 3.29 लाख क्यूसेक पानी और ओखला बैराज से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी ने हालात और गंभीर कर दिए हैं। गोकुल बैराज से भी 1.11 लाख क्यूसेक पानी लगातार छोड़ा जा रहा है। ऐसे में नौहझील, मांट, छाता समेत यमुना किनारे के लगभग 23 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।
इन 23 गांवों में से 13 गांव पूरी तरह डूब गए हैं। नौहझील क्षेत्र के नौ गांवों में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। कई गांवों के संपर्क मार्ग टूट गए हैं। खेतों में खड़ी धान, बाजरा और ज्वार की फसल पानी में डूब चुकी है। पशुओं के लिए हरे चारे की किल्लत हो रही है। वहीं, मथुरा-वृंदावन के निचले इलाकों और कॉलोनियों में 3-4 फीट तक पानी भर चुका है।
भक्ति विहार, घनश्याम वाटिका, श्रीजी वाटिका, श्याम नगर, केशव नगर, मोहिनी नगर जैसे दर्जनों इलाकों के लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। कई परिवार छतों पर शरण लिए बैठे हैं। वहीं, शहर की गलियों और सड़कों पर नावें चल रही हैं।
प्रशासन ने अब तक 1500 से अधिक लोगों को नावों के जरिए सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। बाढ़ पीड़ितों के लिए चार शेल्टर होम बनाए गए हैं। शाहपुर, धानौता, गुलालपुर और नगला नंदी गांव में बने शेल्टर होम में खाने-पीने, पानी और दवाओं की व्यवस्था की गई है। जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश सिंह और अन्य अधिकारी लगातार राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
डीएम ने बताया कि कुल 39 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं, जहां से एसडीएम और तहसील स्तर के अधिकारी हालात पर नजर रखे हुए हैं। पीएसी और पुलिस बल की तैनाती घाटों और कॉलोनियों में कर दी गई है। कई घाटों पर बैरिकेडिंग की गई है ताकि कोई हादसा न हो।
वृंदावन में हालात बेहद चिंताजनक हैं। कालिंदी घाट से लेकर जगन्नाथ घाट और देवराहा बाबा घाट तक पानी फैल चुका है। यमुना के तेज बहाव के कारण केसी घाट और देवराहा बाबा घाट को बंद कर दिया गया है। वहीं, राधारानी मंदिर के पास लाडली कुंड और आसपास बने पार्क भी पानी से लबालब हो चुके हैं।
निचले इलाकों के मंदिर और आश्रम भी प्रभावित हैं। साधु-संतों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। प्रशासन का कहना है कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल लगाया गया है।
विधायक राजेश चौधरी ने नाव से बाढ़ प्रभावित गांवों का निरीक्षण किया और लोगों की मदद का भरोसा दिलाया। वहीं, तहसील प्रशासन ने गांव-गांव जाकर राहत सामग्री बांटनी शुरू की है। अक्षयपात्र के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों को भोजन पहुंचाया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित 43 लोगों को नगला नंदी के प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट किया गया है, जिनमें 25 महिलाएं, 16 पुरुष और 2 बच्चे शामिल हैं। इनके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था प्रशासन की ओर से की गई है।
स्थानीय लोग बता रहे हैं कि यमुना की रफ्तार ने उनकी नींद उड़ा दी है। हर घंटे पानी का स्तर बढ़ रहा है और खतरा बढ़ता जा रहा है। ग्रामीण नाहर सिंह ने बताया कि खेतों में लगी पूरी फसल डूब चुकी है। कई घरों में पानी घुस आया है और लोग अपने बच्चों को गोद में लेकर छतों पर शरण लिए हुए हैं।
मथुरा और वृंदावन इस समय ‘जल-नगरी’ में बदल गए हैं। जहां कभी धार्मिक गूंज और श्रद्धालुओं की भीड़ रहती थी, वहां अब पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। सड़कों पर गाड़ियां नहीं बल्कि नावें चल रही हैं।
डीएम चंद्रप्रकाश सिंह ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें। उन्होंने कहा कि जलस्तर बढ़ने की संभावना अभी बनी हुई है, इसलिए निचले इलाकों में रहने वाले लोग तुरंत सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं।
कुल मिलाकर, यमुना का यह उफान मथुरा-वृंदावन और आस-पास के गांवों पर कहर बनकर टूटा है। प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन हालात अब भी गंभीर हैं। श्रद्धा की नगरी वृंदावन इस समय पानी की गिरफ्त में है और लोग दुआ कर रहे हैं कि जलस्तर जल्द घटे और जिंदगी फिर से पटरी पर लौट सके।
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