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Shivpal Yadav praised Akhilesh Yadav for jumping over the barricades
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अखिलेश यादव के बैरिकेडिंग फांदने पर शिवपाल यादव ने बांधे तारीफों के पुल
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Mon, 11 Aug 2025 08:15 PM IST
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 11 अगस्त 2025 को विपक्षी नेताओं के साथ भारत निर्वाचन आयोग की ओर मार्च कर रहे थे। बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR) और चुनावी धांधली के आरोपों को लेकर यह प्रदर्शन संसद भवन से शुरू हुआ। लेकिन पुलिस ने इन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया। इसी दौरान अखिलेश यादव ने बैरिकेड फांदकर अपनी राह बनाने की कोशिश की, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
अखिलेश के इस कदम पर उनके चाचा और जसवंतनगर से विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी खुलकर तारीफ की। सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करते हुए उन्होंने लिखा-
“संघर्ष की पहचान, रुकना नहीं, टकराना है! जब हक़ की आवाज़ रोकने को बैरिकेड खड़े हों, तो समाजवादी पीछे नहीं हटते—बैरिकेड तोड़ते हैं, कूदते हैं, ललकारते हैं! आज अखिलेश यादव जी की छलांग सिर्फ़ लोहे पर नहीं थी, ये छलांग थी लोकतंत्र बचाने की कसम पर!”
बैरिकेड फांदने से पहले अखिलेश यादव ने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि आयोग उत्तर प्रदेश चुनावों और हालिया उपचुनावों में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताओं पर कार्रवाई करने में विफल रहा है। उनके अनुसार, अधिकारियों ने भाजपा के साथ मिलकर ‘‘वोट लूटने’’ की कोशिश की।
उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब निर्वाचन आयोग पर सवाल उठे हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव में सपा ने कई बार मुद्दे उठाए हैं, लेकिन आयोग ने उन्हें नजरअंदाज किया है।”
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान सपा के 18,000 वोट जानबूझकर हटा दिए गए। उन्होंने कहा—
“ये वे लोग थे जिन्होंने 2019 में वोट दिया था, लेकिन 2022 में उनके नाम गायब हो गए। हमने हलफनामों के साथ सूची आयोग को दी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
उन्होंने एक कथित तस्वीर का भी जिक्र किया जिसमें रामपुर में एक पुलिस अधिकारी मतदाताओं पर रिवॉल्वर ताने दिख रहा था। अखिलेश का कहना है कि इस पर भी आयोग ने कार्रवाई नहीं की।
सपा प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि चुनावों के दौरान अधिकारियों को जाति के आधार पर तैनात किया गया और सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी मतदान केंद्रों पर मौजूद रहे। उनका दावा है कि इन्हें विशेष निर्देश दिए गए थे कि ‘‘किसी भी हालत में भाजपा की जीत सुनिश्चित की जाए’’।
अखिलेश यादव ने आयोग से आग्रह किया कि वह ‘‘कछुए की गति’’ से काम न करे। उन्होंने कहा, “अगर वोट देने का अधिकार छीन लिया गया तो क्या लोकतंत्र बचेगा? हमारे पास कई मामलों के लिए त्वरित अदालतें हैं, लेकिन ऐसे मामलों के लिए सबसे तेज अदालतें होनी चाहिए।”
उन्होंने उम्मीद जताई कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार वोट चोरी में शामिल अधिकारियों—चाहे वे बीएलओ हों, एसडीएम हों या जिला अधिकारी—के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
सपा सांसदों ने संसद परिसर में भी प्रदर्शन किया। डिंपल यादव ने कहा, “हम चाहते हैं कि निर्वाचन आयोग जागे और जिस तरह से लगातार वोट लूटे जा रहे हैं, उसे स्वीकार करे।”
दिल्ली पुलिस का कहना है कि विपक्षी नेताओं को चुनाव आयोग की ओर से समय दिया गया था, लेकिन वे कार्यालय नहीं पहुंचे और सड़क पर हंगामा करने लगे। इसलिए उन्हें रोका गया और बसों में भरकर संसद मार्ग थाने ले जाया गया। सरकारी सूत्रों का कहना है कि प्रदर्शन जंतर-मंतर पर किया जा सकता था, लेकिन केंद्रीय दिल्ली की सड़कों पर अव्यवस्था फैलाना उचित नहीं था।
अखिलेश यादव का बैरिकेड फांदना विपक्ष के ‘संविधान बचाओ’ आंदोलन का प्रतीक बन गया है, जबकि भाजपा इसे महज नाटक बता रही है। SIR विवाद अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी नया मोड़ ला रहा है।
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