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Supreme Court expressed displeasure over lack of facilities in tribunals, reprimanded the central government
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सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनलों में सुविधाओं की कमी पर जताई नाराजगी, केंद्र सरकार को लगाई कड़ी फटकार
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: सुरेश शाह Updated Tue, 16 Sep 2025 09:22 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगर सरकार ट्रिब्यूनल के सदस्यों को बुनियादी सुविधाएं नहीं दे सकती, तो इन सभी ट्रिब्यूनल को खत्म कर दिया जाए और उनके मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट में कराई जाए। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज पोस्ट-रिटायरमेंट ट्रिब्यूनल में नियुक्ति लेने से हिचकिचा रहे हैं क्योंकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिलतीं।
इस दौरान बेंच ने कहा, 'ये जज या तो हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस होते हैं या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज। उन्हें स्टेशनरी तक के लिए बार-बार अनुरोध करना पड़ता है। यहां तक कि जो कार उन्हें दी जाती है, वह विभाग की सबसे खराब होती है। आप इन पूर्व चीफ जस्टिस और जजों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? जब सुविधाएं ही नहीं दे सकते तो ऐसे ट्रिब्यूनल बनाने का क्या फायदा?'
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि, 'कृपया उन पूर्व चीफ जस्टिस और हाई कोर्ट के जजों को गरिमा के साथ व्यवहार दें, जो आपके प्रस्तावित पद स्वीकार करते हैं। एक समिति बनाई जाए जिसमें अलग-अलग मंत्रालय, खासकर कार्मिक विभाग शामिल हों, ताकि कमियों और खामियों को दूर किया जा सके। सभी ट्रिब्यूनल में सुविधाएं और ढांचा एक समान होना चाहिए।'
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह यह संदेश केंद्र तक पहुंचाएंगे। मामला एनजीटी बार एसोसिएशन वेस्टर्न जोन की याचिका से जुड़ा है, जिसमें ट्रिब्यूनल में खाली पदों का मुद्दा उठाया गया था।
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