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UP Politics: Akhilesh Yadav के निशाने पर Akash Anand, बसपा रैली के बाद बदल रहे हैं समीकरण?
Video Published by: पंखुड़ी श्रीवास्तव Updated Mon, 13 Oct 2025 12:31 PM IST
लखनऊ में हाल ही में हुई बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सफल रैली के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपनी राजनीतिक रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीधे बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद को निशाने पर ले लिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर अपनाई गई नई रणनीति का हिस्सा है।
अखिलेश यादव ने भाजपा और बसपा के बीच अंदरूनी सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि “आकाश आनंद की जरूरत भाजपा को ज्यादा है।” यह बयान इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि आकाश आनंद बसपा प्रमुख मायावती के भतीजे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाते हैं। गौरतलब है कि मायावती ने 9 अक्टूबर को अपनी लखनऊ रैली में सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) अभियान पर तीखा हमला बोला था।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने गठबंधन कर साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उसके बाद से दोनों दलों के बीच प्रत्यक्ष टकराव देखने को नहीं मिला था। लेकिन अखिलेश यादव की हालिया टिप्पणी से यह साफ संकेत मिल रहा है कि सपा अब बसपा पर सीधे राजनीतिक हमले के मूड में है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपा को भलीभांति एहसास है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए दलित वोट बैंक का समर्थन निर्णायक भूमिका निभाएगा। एक समय यह वोट बैंक पूरी तरह बसपा के साथ था, लेकिन हाल के वर्षों में भाजपा ने इसमें गहरी सेंध लगाई है। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा को भी दलित मतदाताओं का आंशिक समर्थन मिला।
यही कारण है कि अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं को दलित समुदाय के बीच सक्रियता बढ़ाने और दलित अत्याचारों के मामलों को प्रमुखता से उठाने के निर्देश दिए हैं। रायबरेली में वाल्मीकि युवक की हत्या का मामला इसका ताजा उदाहरण है। हालांकि, अखिलेश की टिप्पणी पर अभी तक भाजपा के किसी बड़े नेता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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