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Agar Malwa: दो स्कूलों में मिला ताला, शिक्षिकाओं का अजब तर्क कहा- गांव में मान का कार्यक्रम था तो आ गए थे घर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आगर मालवा Published by: अमर उजाला ब्यूरो Updated Thu, 03 Apr 2025 10:05 PM IST
जिले के सभी सरकारी स्कूलों में एक अप्रैल से दाखिला प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रवेश उत्सव कार्यक्रम के तहत 30 अप्रैल तक बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलेगा, 23 मार्च से ही जनजागरण अभियान जारी है। इसमें स्कूलों के प्राचार्य और शिक्षक आमजन को सरकारी स्कूलों में मिलने वाली शिक्षा और सुविधाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं। प्रवेश उत्सव को लेकर जिला स्तर पर बड़े-बड़े कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे हैं जिसमें कलेक्टर सहित जनप्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं और शिक्षा के प्रति जागरूक कर रहे हैं, लेकिन इस अभियान की जमीनी स्तर पर विपरीत रिपोर्ट देखी जा रही है। अधिकांश स्कूलों में शिक्षक स्कूल में पहुंच ही नहीं रहे हैं, स्कूलों में ताले लगे हुए मिलते हैं। एक ऐसा ही मामला आगर जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ग्राम पांच रुंडी के शासकीय प्राथमिक विद्यालय और ग्राम काशी बर्डिया के शासकीय प्राथमिक विद्यालय व माध्यमिक विद्यालय में देखने को मिला है। इन दोनों स्कूलों में दोपहर बाद से ही ताले लगे हुए मिले हैं। इस संबंध में ग्रामीणों का भी कहना है कि शिक्षक अपनी मनमर्जी के मालिक हैं। उनका आने का कोई समय फिक्स नहीं है वह अपनी मर्जी से आते हैं और अपनी मर्जी से स्कूल में ताला लगा कर चले जाते हैं।
पाचारुंडी मे पदस्थ शिक्षिका दीपांजलि कारपेंटर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे एक मीटिंग जाना था तो स्कूल से जल्दी आ गई, वहीं यहां पर पदस्थ एक और शिक्षिका गुलफीशा सैय्यद से स्कूल में ताला लगने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि आज तो कोई मीटिंग नहीं है। मुझे कुछ काम था तो जल्दी आ गई, वहीं कशीबर्डीया में पदस्थ शिक्षिका यशोदा दांगी को फोन लगाया और स्कूल में न होने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरी बेटी की तबीयत खराब है इसलिए जल्दी आ गई। आप कल्पना बिडवाल से बात कर लीजिये। इसी प्रकार एक और शिक्षिका गायत्री सोनी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी तबीयत ख़राब है इसलिए कल्पना मैडम से बोलकर आई थी। वहीं थोड़ी देर बाद वहां पदस्थ कल्पना बिडवाल का फोन आ गया और उनसे स्कूल जल्दी बंद करने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा गांव में मान और मौसर का कार्यक्रम था तो बच्चे नहीं आए थे इसलिए स्कूल जल्दी बंद कर दिया।
जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश की अवहेलना
जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों को इस अभियान को सफल बनाने के निर्देश दिए गए हैं। सरकारी स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं का प्रचार होर्डिंग, बैनर और नुक्कड़ नाटकों के जरिए किया जाए ताकि अधिक से अधिक बच्चे दाखिल हो सकें, लेकिन जमीन स्तर पर इन निर्देशों का उल्टा ही असर देखने को मिल रहा है। निर्देशों का पालन तो दूर समय पर स्कूल ही नहीं खुल रहे हैं और समय निकालकर स्कूल खुलते हैं, तो शिक्षक समय पूरा होने से पहले ही कोई न कोई बहाना बनाकर स्कूल में ताला लगाकर घर पहुंच जाते हैं।
शिफ्ट बाय शिफ्ट में करते हैं नौकरी
जिले के अधिकांश स्कूलों में तीन से चार शिक्षकों की नियुक्त हैं, लेकिन एक भी शिक्षक समय पर स्कूल नहीं पहुंचता है। यह आपसी तालमेल बनाकर प्राइवेट नौकरी की तरह शिफ्ट बाय शिफ्ट में स्कूल पहुंचते हैं। तीन-चार शिक्षकों में से एक या दो ही स्कूल पहुंचते हैं बाकी के शिक्षक अन्य दोनों में स्कूल पहुंचते हैं। यह इनकी समय सारणी स्वयं ही निश्चित कर लेते हैं और बारी-बारी से स्कूल पहुंचते हैं। ऐसा करने से यह सिर्फ शासन को ही हानि नहीं पहुंचा रहे बल्कि छात्रों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं।
एक दिन का वेतन काटेंगे
जिला शिक्षा अधिकारी आरसी खंदार का कहना है कि हम इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं, और शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटेंगे और कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे। वहीं ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मनोहर चौहान का कहना है कि मेने मामले को दिखाया है स्कूल में ताला लगा होना पाया गया है। मैं दोनों स्कूल के शिक्षकों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर रहा हूं।
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