बाल संरक्षण आयोग की टीम सोमवार को दमोह जिले के हिंडोरिया स्थित शासकीय अनुसूचित जाति छात्रावास के निरीक्षण पर पहुंची। टीम ने छात्रावास की जर्जर हालत देखकर नाराजगी जताई। इस दौरान एक सदस्य ने कहा कि 'यहां तो झालावाड़ जैसा हादसा हो सकता है'। भवन की खराब स्थिति और अन्य अनियमितताएं मिलने पर आयोग ने तत्काल बच्चों को अन्यत्र शिफ्ट करने के निर्देश दिए। इस संबंध में कलेक्टर से चर्चा कर बच्चों की शीघ्र व्यवस्था करने को कहा गया।
आयोग की टीम में डॉ. निवेदिता शर्मा, ओमकार सिंह और दीपक तिवारी शामिल थे। निरीक्षण के दौरान टीम ने पाया कि छात्रावास पूरी तरह जर्जर है। 50 बच्चों की क्षमता वाले छात्रावास में 43 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन मौके पर केवल 20 बच्चे ही मौजूद थे। भवन की दीवारों में दरारें थीं, छत की सीलिंग का प्लास्टर झड़ रहा था। शौचालयों के दरवाजे टूटे मिले और पानी की व्यवस्था भी नहीं पाई गई। छत पर बनी टंकी से दूषित पानी बच्चों को पीने के लिए दिया जा रहा था। बच्चों से बातचीत में अन्य समस्याएं भी सामने आईं।
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आयोग को बताया गया कि छात्रावास की नई बिल्डिंग बन चुकी है, लेकिन शिक्षा विभाग ने अब तक उसे हैंडओवर नहीं किया है। इस पर टीम ने कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर से चर्चा कर नई बिल्डिंग शीघ्र हैंडओवर कर उसमें बच्चों को स्थानांतरित करने को कहा। डॉ. शर्मा ने कहा कि छात्रावास की स्थिति इतनी खराब है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
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आयोग के सदस्य ओमकार सिंह और डॉ. शर्मा ने कलेक्ट्रेट में जिला स्तरीय समन्वयक और समीक्षक बैठक ली। बैठक के दौरान उन्होंने महिला टीआई से तीखे सवाल किए। हटा थाना क्षेत्र में एक मामले को लेकर जब एक नाबालिग को रास्ते में पड़ी बंदूक से 40 छर्रे लगने के बाद भी एफआईआर न होने की बात सामने आई, तो सदस्य नाराज हो गए। उन्होंने पूछा कि बंदूक कहां से आई और किसकी थी। जब महिला टीआई ने जवाब नहीं दिया तो सदस्यों ने दोबारा पूछा—क्या रास्ते में यूं ही बंदूक मिल जाती है? जिस पर टीआई ने "हां" में जवाब दिया, तो सदस्य असहज हो गए। बैठक में दमोह जिले के कई मामलों को लेकर भी पुलिस से सवाल किए गए। विशेषकर पाक्सो एक्ट से जुड़े मामलों की जानकारी मांगी गई। डॉ. शर्मा ने कहा कि आयोग में कई प्रकरण लंबे समय से लंबित हैं। कई बार स्मरण पत्र भेजे गए, लेकिन फिर भी प्रतिवेदन नहीं मिले। इससे आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं।