भारत सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से करोड़ों रुपये खर्च कर आरोग्य केंद्रों का निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन, मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में इन निर्माण कार्यों को लेकर गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं, जिससे सरकार की मंशा को ठेस पहुंच रही है।
जिले के करंजिया जनपद अंतर्गत उमरिया गांव में 65 लाख रुपये की लागत से बन रहा आरोग्य केंद्र भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। छत ढलने से पहले ही यहां बने भवन की नींव में दरारें पड़ चुकी हैं, कुछ हिस्सों में नींव धंस भी गई है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार नींव की खराब स्थिति को देखते हुए लेंटर का कार्य रोक दिया गया है।
इससे पहले झनकी गांव में भी निर्माणाधीन आरोग्य केंद्र में गंभीर खामियां उजागर हो चुकी हैं। बजाग के एसडीएम रामबाबू देवांगन ने खुद झनकी गांव के आरोग्य केंद्र का निरीक्षण कर निर्माण में गड़बड़ी स्वीकार की थी। उन्होंने जांच के बाद कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपने और कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है।
ये भी पढ़ें:
दोस्तों को पत्र लिखकर कहा-मुझे नाचते हुए विदा करना; पांच साल बाद मौत; बैंड की धुन पर नाचा यार
हैरानी की बात यह है कि जब प्रशासनिक अधिकारी स्वयं निर्माण कार्य में खामियां मान रहे हैं, तब भी स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. आर.एस. मरावी, सभी आरोपों को खारिज करते हुए कार्य को मापदंडों के अनुसार बता रहे हैं। सिर्फ आरोग्य केंद्र ही नहीं, बल्कि बजाग तहसील मुख्यालय में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनवाया जा रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन भी भ्रष्टाचार के घेरे में है। करोड़ों रुपये की लागत से बन रहे इस अस्पताल भवन की निर्माण अवधि समाप्त हो चुकी है, लेकिन कार्य अब तक अधूरा है। निर्माण स्थल पर कोई सूचना पट्टिका तक नहीं लगाई गई है, जिससे निर्माण की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
ये भी पढ़ें:
सोने की चमक में चौंधियाई आंखें, शिक्षक ने गहने गिरवीं रख खरीदे 5KG सिक्के, अब पीट रहा माथा; कैसे फंसा?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों का कहना है कि जिले भर में बन रहे सभी आरोग्य केंद्रों और अस्पताल भवनों में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। शिकायतों के बावजूद न तो ठेकेदारों पर कोई सख्त कार्रवाई की जाती है और न ही जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा रही है। ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों को लिखित शिकायतें सौंपी हैं, जिनकी प्रतियां भी सार्वजनिक हुई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।