मध्यप्रदेश के कटनी जिले में अधिकारियों ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है, जिससे शासन को सीधा 100 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। ये हम नहीं बल्कि एक अधिवक्ता ने अपनी एक शिकायत में लिखा है, जिसे उसने जिला प्रशासन से लेकर लोकायुक्त को सौंपा है। मामला कटनी जिले की दो बड़ी नामी कंपनी से जुड़ा है। पहली जेके तो दूसरी बिड़ला, जिन्होंने बिना अनुमति हजारों टन डोलो माइट जैसे खनिज संप्रदा का भंडारण करते हुए उसका उपयोग किया है।
शिकायतकर्ता अनिल सेंगर की माने तो कंपनी को भंडार के लिए कटनी जिला प्रशासन से अनुमति लेनी थी, लेकिन उसने नहीं ली, जबकि यही कंपनी पड़ोसी जिले में भी संचालित है। वहां मैहर में अनुमति ले रखी है। क्या कटनी जिले का खनिज नियम पूरे मध्यप्रदेश से अलग है, अगर है तो जब दूसरा कोई ऐसा करता है तो उन पर क्यों कार्रवाई की जा रही है।
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अनिल सेंगर बताते हैं कंपनी की हुई जांच में महज डेढ़ साल के भीतर में ही मध्यप्रदेश सरकार को करीब 90 से 100 करोड़ का राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा, जबकि ये कम्पनियां वर्ष 2014-15 से यहां संचालित हैं। ऐसे कितने का नुकसान हुआ होगा ये समझा जा सकता है। मेरे द्वारा इसकी शिकायत जिला प्रशासन से लेकर लोकायुक्त में दर्ज कराई गई है, जिसमें तत्कालीन खनिज अधिकारी संतोष सिंह बघेल और वर्तमान में पदस्थ खनिज अधिकारी अशोक मिश्रा की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है। मैंने दोनों बड़ी कंपनियों पर जुर्माना लगाने सहित खनिज अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की मांग रखी है।
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बता दें कि जेके और बिड़ला दोनों ही कम्पनियां बड़वारा विधानसभा क्षेत्र में संचालित हैं, जहां डोलो माइट जमकर अवैध उत्खनन भी बड़े स्तर में होता है। बावजूद इसके खनिज विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करता, जो अपने आप में उनके कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करता है। हालांकि जब एसडीएम प्रदीप मिश्रा से इस मामले पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बोला इसकी जांच करवाते हुए शासन को जानकारी सौंपी जाएगी।