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Farmer starts medicinal crop cultivation after learning from social media, expects four times profit
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Sagar News: सोशल मीडिया से सीख किसान ने शुरू की औषधीय फसल की खेती, अब चार गुना मुनाफे की उम्मीद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर Published by: सागर ब्यूरो Updated Sat, 08 Feb 2025 03:28 PM IST
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मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड अंचल अब खेती में नवाचारों के लिए जाना जाने लगा है। यहां के किसान पारंपरिक खेती की जगह इसे लाभ का व्यवसाय बनाने के प्रयास कर रहे हैं। अब वे नगदी फसलों के उत्पादन में रुचि दिखा रहे हैं। सागर जिले की रहली और देवरी तहसीलों के युवा किसानों ने नवाचार करते हुए औषधीय फसल अश्वगंधा की खेती शुरू की है। इन तहसीलों के किसान लगभग 200 एकड़ में अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं।
सोशल मीडिया से सीखा तरीका
रहली तहसील के ग्राम रजवांस के युवा किसान प्रशांत पटेल ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अश्वगंधा की खेती की जानकारी प्राप्त की और इसे अपनाया। पहले वर्ष 1 एकड़ में फसल लगाई, जिसमें अच्छा मुनाफा हुआ। अब उन्होंने 6 एकड़ में इसकी खेती शुरू कर दी है। प्रशांत को लाभ होता देख गांव के 20 से अधिक युवा किसानों ने भी अश्वगंधा की खेती शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि अन्य पारंपरिक फसलों की तुलना में तीन गुना अधिक मुनाफा हो रहा है। यह फसल कम लागत वाली, कम जोखिम भरी है। साथ ही इसमें पानी की भी विशेष आवश्यकता नहीं होती, जिससे किसान इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
नीमच से लाए थे बीज
अश्वगंधा की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद किसानों ने यूट्यूब से इसके गुर सीखे और अपने परिचितों की मदद से नीमच और मंदसौर से बीज लाकर खेती शुरू कर दी। जिसका उन्हें खूब फायदा मिल रहा है।
कम लागत और अधिक लाभ
इस नवाचार पर जिले के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी बताते हैं कि अश्वगंधा जैसी औषधीय फसलों की कम लागत और अधिक लाभ के कारण किसान इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसकी खेता का रकबा लगातार बढ़ रहा है। अश्वगंधा एक औषधीय फसल है, जिससे विभिन्न प्रकार की दवाइयां बनाई जाती हैं। फिलहाल, किसानों को इसे बेचने के लिए नीमच या मंदसौर मंडी जाना पड़ता है। फसल की जड़ को निकालकर, उसकी ग्रेडिंग कर मंडी में बेचा जाता है। किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही स्थानीय स्तर पर ही इसकी बिक्री शुरू हो जाएगी।
यह है लाभ का गणित
पारंपरिक फसलों की तुलना में अश्वगंधा की खेती किसानों को दोगुना-तिगुना मुनाफा देती है। कम लागत और कम जोखिम के कारण यह फायदेमंद साबित हो रही है। किसान बताते हैं कि अगर, एकड़ में गेहूं की फसल की जाए तो ज्यादा से ज्यादा 22 क्विंटल पैदावार होती है। जिसे बेचकर उन्हें 55 हजार रुपए की आय होती है। वही, एक एकड़ में अश्वगंधा का औसतन 5 क्विंटल भी उत्पादन हो गया तो इसका भाव 25 से 30 हजार रुपए क्विंटल रहता है जिसको बेचकर उन्हें तिगुनी चौगुनी आय हो जाती है।
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