अलवर पूर्वांचल समाज की ओर से सागर जलाशय पर श्रद्धा और आस्था का पर्व छठ पूजा धूमधाम से आयोजित किया गया। समाज के लोगों ने सामूहिक रूप से अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। समिति के अध्यक्ष लक्ष्मेश सिंह ने बताया कि इस बार अलवर शहर में करीब 100 स्थानों पर छठ पूजा का आयोजन किया जा रहा है, जहां हजारों श्रद्धालु जलाशयों और घाटों पर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। छठ पूजा सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित एक प्राचीन वैदिक पर्व है।
माना जाता है कि सूर्य देव ऊर्जा और जीवन शक्ति के प्रतीक हैं। उनके आराधन से स्वास्थ्य, संतति, समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। छठ में शुद्धता, सफाई और आस्था सबसे प्रमुख होती है। यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इतिहास के अनुसार छठ पर्व की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। महाभारत काल में कुंती और द्रौपदी द्वारा छठ पूजा किए जाने के प्रमाण मिलते हैं। वहीं, एक मान्यता यह भी है कि सूर्य पुत्र कर्ण सूर्य की उपासना विशेष रूप से करते थे, जिससे उन्हें अद्भुत तेज और बल प्राप्त हुआ। लोकमान्यता के अनुसार छठी मैया को संतानों की रक्षा, परिवार की मंगल कामना और महिलाओं के स्वास्थ्य की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
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आज भी बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देशभर में बसे पूर्वांचली लोग इसे अपनी संस्कृति और पहचान से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाते हैं। अलवर में सागर जलाशय सहित विभिन्न घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ इस उत्सव का साक्षी बनी।