मेहनत, लगन और आत्मविश्वास अगर साथ हों तो मंज़िल दूर नहीं रहती इस कहावत को हकीकत में बदला है बालोतरा निवासी जितेंद्र गहलोत ने। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) परीक्षा में 295वीं रैंक हासिल कर जितेंद्र ने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे शहर का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
जितेंद्र के पिता ओमप्रकाश गहलोत पिछले 42 वर्षों से बालोतरा में जनरेटर मिस्त्री का काम करते हैं। सीमित साधनों और साधारण पृष्ठभूमि के बावजूद उन्होंने अपने बेटे के सपनों को कभी टूटने नहीं दिया। जितेंद्र की मां गृहिणी हैं और परिवार में दो भाई और तीन बहनें हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति भले ही मजबूत न रही हो, लेकिन शिक्षा और मेहनत के प्रति जितेंद्र के जज़्बे ने सबकी सोच को प्रेरित किया है।
तीसरे प्रयास में मिली सफलता, बिना कोचिंग घर पर की तैयारी
जितेंद्र बताते हैं कि यह उनका तीसरा प्रयास था। उन्होंने कभी किसी कोचिंग संस्थान की मदद नहीं ली। मैंने तय कर लिया था कि सिविल सेवा में जाना ही है, चाहे कितनी भी मेहनत करनी पड़े, जितेंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा। हर दिन दस घंटे की नियमित पढ़ाई, किताबों और नोट्स के साथ अनुशासन और आत्मनिर्भरता उनकी सबसे बड़ी ताकत रही। उन्होंने बताया कि कक्षा 10वीं में जब उनका नाम मेरिट लिस्ट में आया, तभी मन में ठान लिया था कि अब आगे सिविल सेवा को ही जीवन का लक्ष्य बनाना है। उस दिन के बाद से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पिता की मेहनत से मिली प्रेरणा, मां का साथ बना ताकत
जितेंद्र कहते हैं, मेरे पिता ने दिन-रात मेहनत करके हमें पढ़ाया। जनरेटर की आवाज़ के बीच भी उन्होंने कभी थकान नहीं दिखाई। उनकी मेहनत देखकर मैं हमेशा सोचता था कि अगर मैं सफल हुआ तो उनकी जिंदगी आसान बना दूंगा। मां का स्नेह और प्रोत्साहन भी उनके लिए उतना ही महत्वपूर्ण रहा। जितेंद्र के मुताबिक, जब कभी मन विचलित होता, तो मां एक ही बात कहती थीं बेटा, मेहनत का फल देर से मिलता है, लेकिन मिलता जरूर है।
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सफलता की खबर मिलते ही छा गया खुशी का माहौल
जैसे ही RPSC परिणाम घोषित हुआ और जितेंद्र का नाम 295वीं रैंक पर आया, वैसे ही पूरे परिवार और मोहल्ले में जश्न का माहौल बन गया। रिश्तेदारों, मित्रों और पड़ोसियों ने मिठाइयां बांटीं, ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचे और जितेंद्र को कंधों पर उठा लिया। जनरेटर की आवाज़ से पहचाने जाने वाले ओमप्रकाश गहलोत के घर से इस बार गूंज रही थी खुशियों की गूंज।
मेहनत का कोई विकल्प नहीं जितेंद्र का संदेश
अपनी सफलता का श्रेय जितेंद्र ने अपने माता-पिता, परिवार और निरंतर अनुशासन को दिया है। उनका कहना है कि आज के युवा यदि सोशल मीडिया से दूर रहकर समय का सदुपयोग करें तो किसी भी परीक्षा में सफलता मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा “मैंने हर दिन को चुनौती की तरह लिया, और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश की। सफलता किसी एक दिन का परिणाम नहीं, बल्कि निरंतर प्रयास का फल है।”