रक्षाबंधन का पर्व वागड़ आंचल में परंपरागत ढंग से मनाया गया। बहनों ने अपने भाइयों को राखी बांधी और रक्षा का वचन लिया। वहीं, भाइयों ने भी बहनों को यथोचित उपहार दिए। श्रावणी पूर्णिमा पर विप्र समाज की ओर से जलाशयों के किनारे श्रावणी उपाकर्म किए गए। विप्रवरों ने नवीन यज्ञोपवीत भी धारण किया।
शहर में कागदी पिकअप वीयर पर चौबीसा ब्राह्मण समाज की ओर से श्रावणी उपाकर्म किए गए। अध्यक्ष सुधीर चौबीसा ने बताया कि नित्य पूजन के बाद हेमाद्री श्रवण किया। हेमाद्री एवं दश विधि स्नान करने के बाद देवों, ऋषियों, मुनियों और अपने दिवंगत परिजनों के साथ ही भीष्म पितामह तथा राष्ट्र की रक्षा के लिए शहीद हुए सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया। समाज के आचार्य महेंद्रनाथ उपाध्याय, कमलनाथ उपाध्याय, मनीष उपाध्याय के निर्देशन में समस्त अनुष्ठान और यज्ञ किया गया।
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ब्राह्मणों ने मांगा सूर्य से तेज
ब्रह्म नगरी छींच में श्रावण पूर्णिमा पर ब्राह्मणों ने श्रावणी उपाकर्म किया। ब्रह्म सरोवर तट पर पवित्र स्नान, पंचगव्य से स्नान और ब्रह्मा मंदिर परिसर में सप्तऋषि पूजन किया गया। सकल ब्राह्मण समाज के तत्वावधान में इस आयोजन में सैकड़ों विप्रवरों ने भाग लिया। प्राचीन वैदिक परम्परा को जीवंत रखते हुए ब्राह्मणों ने श्रावण पूर्णिमा पर सोमवार को श्रावणी उपाकर्म किया। प्रात: ब्रह्म सरोवर घाट पर विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी शुक्ल यजुर्वेदीय माध्यांदिनी शाखा के त्रिवेदी मेवाडा ब्राह्मण समाज, औदिच्य ब्राह्मण समाज तथा श्रीमाली ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों द्वारा श्रावणी उपाकर्म किया गया। पं. प्रदीप शुक्ला के आचार्यत्व में सर्वप्रथम प्रायश्चित कर्म में हेमाद्रि श्रवण और पंचगव्य से दशविधि स्नान तदुपरांत भस्मलेपन किया गया। ब्रह्माजी ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष मुकेश दवे ने बताया कि दशविधी स्नान तथा तर्पण एवं आत्म शुद्धि क्रिया के पश्चात् ब्रह्मा मंदिर परिसर में सप्तऋषि पूजन किया गया, जिसमें उपस्थित सभी ब्राह्मणों ने सप्त ऋषियों का पूजन-अर्चन कर यज्ञोपवित को अभिमंत्रित कर धारण किया।
इस अवसर पर पंडित हरीश शुक्ला, हरिकृष्ण पंड्या, भूपेंद्र दवे, अशोक उपाध्याय, भरत पुरोहित, राजेश त्रिवेदी, आशीष उपाध्याय, भूपेंद्र दवे, हेमंत आचार्य, नरेंद्र आचार्य, सहित विप्रवर उपस्थित रहे।