बांसवाड़ा जिले में शारीरिक शिक्षकों की फर्जी डिग्री से सरकारी नौकरी पाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। गुरुवार को दो शारीरिक शिक्षकों की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को गढ़ी थाना पुलिस ने बीपीएड की फर्जी डिग्री दिलाने वाले मुख्य आरोपी प्रमोद कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई उस खुलासे के बाद हुई जब गिरफ्तार शिक्षकों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें फर्जी डिग्री प्रमोद ने अपने किसी जानकार के माध्यम से उपलब्ध करवाई थी।
गोपनीय जांच में हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
उप अधीक्षक, एसटीएससी सेल बांसवाड़ा, श्याम सिंह ने नौ जुलाई को गढ़ी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि 2018 और 2022 की पीटीआई भर्ती परीक्षाओं में फर्जी बीपीएड डिग्री के जरिए कई लोगों ने सरकारी नौकरी हासिल की है। गोपनीय जांच में दो मामलों का खुलासा हुआ, जिनमें शारीरिक शिक्षक मनीष कुमार वसीटा और कमलेश पाटीदार को दोषी पाया गया।
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मनीष कुमार वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नापला में कार्यरत है। उसने 2012 में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर की फर्जी डिग्री के आधार पर 2018 की पीटीआई परीक्षा में भाग लिया और उत्तीर्ण हुआ। इसी प्रकार कमलेश पाटीदार ने वर्ष 2013 की फर्जी डिग्री का इस्तेमाल कर परीक्षा पास की और राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, गराड़िया सज्जनगढ़ में शिक्षक नियुक्त हुआ।
डिग्री और प्रमाणपत्रों में नहीं मिला मिलान
जांच में जब दोनों शिक्षकों के डिग्री दस्तावेजों का पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर से सत्यापन कराया गया, तो सामने आया कि उनकी अंकसूचियां और प्रमाणपत्र विश्वविद्यालय से जारी नहीं हुए थे। यानी दोनों शिक्षकों ने कूटरचित दस्तावेजों का उपयोग करते हुए न केवल परीक्षा दी, बल्कि नौकरी भी हासिल कर ली। इससे न केवल राज्य सरकार बल्कि कर्मचारी चयन बोर्ड और शिक्षा विभाग के साथ भी गंभीर धोखाधड़ी की गई।
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तीसरी गिरफ्तारी के बाद होगा और बड़ा खुलासा
दोनों शिक्षकों से पूछताछ में सामने आया कि फर्जी डिग्रियां प्रमोद कुमार पुत्र अंबालाल मोची, निवासी गढ़ी ने उपलब्ध करवाई थीं। इस इनपुट के आधार पर गढ़ी थानाधिकारी रोहित कुमार ने प्रमोद को गिरफ्तार कर लिया। अब पुलिस प्रमोद से यह जानने में जुटी है कि वह कितने लोगों को ऐसी फर्जी डिग्रियां दिला चुका है और उसका नेटवर्क कितना बड़ा है। सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला और भी गहराई में जा सकता है क्योंकि संभावना है कि राज्य के अन्य जिलों में भी इसी प्रकार की डिग्रियों से नियुक्तियां हुई हों। पुलिस फिलहाल दस्तावेजी सबूतों के साथ-साथ तकनीकी विश्लेषण के माध्यम से जांच को आगे बढ़ा रही है।