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Bhilwara News Unique tradition in Dhanop Thousands of people gathered for Dada Mahotsav next year will normal
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Bhilwara News: धनोप में अनूठी परंपरा...दड़ा महोत्सव ने जुटी हजारों लोगों की भीड़, सामान्य रहेगा अगला साल
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, भीलवाड़ा Published by: भीलवाड़ा ब्यूरो Updated Tue, 14 Jan 2025 07:04 PM IST
भीलवाड़ा जिले में फुलिया कलां उपखंड क्षेत्र के धनोप गांव में मंगलवार को आयोजित दड़ा महोत्सव ने ग्रामीणों और दूरदराज से आए दर्शकों को रोमांचित कर दिया। यह पारंपरिक खेल बिना रेफरी के खेला जाता है और ग्रामीणों की आस्था और मनोरंजन का केंद्र बना रहता है।
महोत्सव का शुभारंभ धनोप मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष ठा. सत्येंद्र सिंह राणावत, जयेंद्र सिंह राणावत और भगवत सिंह राणावत ने पूजा-अर्चना से किया। इसके बाद पटेल महावीर गुर्जर ने सात किलो के दड़े को गढ़ से फेंककर खेल की शुरुआत की। दड़ा महोत्सव में दड़े को गांव की विभिन्न दिशाओं में फेंका जाता है। इस बार दड़ा सुनारों के घर तक ही पहुंचा और बालाजी मंदिर की ओर केवल एक बार गया। खेल मुख्य रूप से गढ़ चैक और सदर बाजार के बीच केंद्रित रहा।
ग्रामीणों का कहना है कि दड़े की दिशा से आगामी साल के मौसम और मिजाज का अंदाजा लगाया जाता है। इस बार का परिणाम सामान्य रहा। दोपहर चार बजे तक चले इस महोत्सव के दौरान गांव की बिजली और बाजार बंद रहे। खेल के समापन पर दड़े को फिर से गढ़ में सुरक्षित रख दिया गया, जिसे अगले साल मकर संक्रांति पर फिर से खेला जाएगा।
महोत्सव में हजारों ग्रामीणों और आगंतुकों ने हिस्सा लिया। खेल के दौरान ग्रामीणों ने पटेल की मौजूदगी में दड़े को गढ़ से निकालकर चैक तक लाया। जयकारों के बीच यह खेल दो घंटे तक चला। मनोरंजन के लिए बच्चों के लिए चकरी झूले लगाए गए और छतों पर खड़े दर्शकों ने ताने मार-मारकर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया।
महोत्सव के समापन पर गुड़ और अफीम का प्रसाद वितरित किया गया। गढ़ की ओर से गुड़ और पालीवाल बोहरा परिवार की ओर से अफीम का प्रसाद बांटा गया। ग्रामीणों ने इसे परंपरा का हिस्सा मानकर स्वीकार किया। महोत्सव के दौरान शांति बनाए रखने के लिए फुलिया कलां थाना पुलिस का जाब्ता तैनात रहा। आयोजन स्थल पर ग्राम पंचायत की ओर से खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त जगह पर बालू-मिट्टी डलवाई गई थी।
कोरोना काल में भी बना रहा था उत्साह
गौरतलब है कि साल 2022 में कोरोना महामारी के दौरान भी दड़ा महोत्सव आयोजित हुआ था। हालांकि, तब इसे बिना स्वीकृति के आयोजित करने पर ग्राम पंचायत ने 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। साथ ही भीड़ एकत्रित होने के कारण तत्कालीन थानाधिकारी रामपाल बिश्नोई को लाइन हाजिर होना पड़ा था।
ग्रामीणों की आस्था का केंद्र
दड़ा महोत्सव धनोप गांव की एक प्राचीन और अनूठी परंपरा है। यह खेल न केवल ग्रामीणों की आस्था से जुड़ा है, बल्कि उनके मनोरंजन का भी प्रमुख साधन है। हर साल यह महोत्सव हजारों लोगों को आकर्षित करता है और धनोप की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखता है।
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