उत्तर भारत के प्रसिद्ध प्रमुख शक्ति पीठों में शामिल कैलादेवी का चैत्र मास में लगने वाला वार्षिक लक्खी मेला 26 मार्च से प्रारंभ से हो चुका है। मेले में माता के भक्तों का भारी सैलाब उमड़ रहा है। करीब 20 दिन तक चलने वाले इस मेले में राजस्थान के अतिरिक्त करीब छह राज्यों से 60 लाख से अधिक श्रद्धालु कैला मां के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। मेले में सर्वाधिक भीड़ दुर्गाष्टमी और नवमीं को रहती है, जिसमें दो दिनों में ही करीब 10 से 15 लाख श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। मेले के दौरान चकरी, झूला, सहित अन्य मनोरंजन के साधन लगते हैं।
इस चैत्र लख्खी मेले में राजस्थान के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा आदि प्रांतों के श्रद्धालु भी भारी संख्या में आते हैं। मेले में ट्रेन और बस के अतिरिक्त बडे़ पैमाने पर पैदल यात्रियों का जत्था भी कैला मैया के द्वार पहुंचता है। मेले में कानून व्यवस्था को लेकर भारी पुलिस का जाब्ता तैनात किया जाता है। वहीं, मंदिर ट्रस्ट के द्वारा भी सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजामात किए जाते हैं। रोडवेज प्रभारी शिवदयाल शर्मा ने बताया कि मेले में हिण्डौन व करौली सहित अन्य आगारों सहित प्रदेश की 45 डिपो से 400 के रोडवेज बसों को भी मेले में लगाया गया है। जिससे कि किसी भी यात्री को यात्रा करने में समस्या न हो।
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आपको बतादें कि कैलादेवी में यात्रियों का इस कदर सैलाब इस कदर उमड़ता है कि नजारा दूसरे महाकुम्भ जैसा दिखाई देता है। मेले में जगह जगह चूड़ी छल्लों और अन्य सामानों की दुकानें सजी हैं तो साथ ही खाद्य सामग्री, चाय रेस्टोरेंट, मिठाई, खिलौने, मंनोजरंन करने वाले, झूले-चकरी और खेल-तमाशा दिखाने वाले भी आ जमे हैं। वहीं मेले में माता के दर्शनों के लिए उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश से करीब 25 लाख श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते हुए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर भी पहुंचते हैं। जिनके खाने-पीने एवं चिकित्सा के लिए हिण्डौन सिटी व करौली क्षेत्र में दर्जनों निशुल्क भण्डारे भी स्थानीय लोगों द्वारा संचालित किए जाते हैं। जहां भोजन के अलावा फास्ट फूड भी माता के भक्तों को वितरित किया जाता है।
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कालीसिल नदी आस्था का प्रतीक
कैलादेवी में बहने वाली कालीसिल की नदी से भी लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि कालीसिल नदी में स्नान करने के बाद दर्शन करने से ही कैला माता प्रसन्न होती हैं। इसी के चलते कैलादेवी मेले में आने वाले अधिकांश यात्री माता के दर्शनों से पूर्व कालीसिल नदी में स्नान कर स्वयं को पवित्र करते हैं। ऐसा मना जाता है कि इस नदी मैं स्नान करने से शरीर के कुष्ठ रोगों से मुक्ति मिलती है।
मनौती पूर्ण होने पर होती है माता की जात
कैला मैया के दरबार में भक्त अपनी मनौती पूरी होने पर वाहनों से पहुंचते हैं। वहीं कुछ पैदल चलकर आते हैं। वहीं कुछ श्रद्धालु प्रतिवर्ष बिना किसी मनौती के ही नियमित दर्शनों को आते हैं। कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से माता से कुछ मांगता है तो कैला मां उसे कभी निराश नहीं करती। माता के कृपा भाव के कारण ही प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।