सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में गुरुवार शाम एक बेहद दुखद घटना हुई, जब पैंथर के हमले में 8 वर्षीय बालक विक्रम की मौत हो गई। बालक अपने पिता रामजीलाल बंजारा के साथ आंटीला बालाजी मंदिर से दर्शन कर लौट रहा था। रास्ते में झाड़ियों से निकले पैंथर ने अचानक बालक पर हमला किया और उसे पिता के हाथों से छुड़ाकर जंगल की ओर ले गया। पिता और आसपास मौजूद लोग पत्थर फेंककर उसके पीछे दौड़े और बच्चे को छुड़ाया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। वन विभाग ने शव जिल अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतक के परिजनों और ग्रामीणों का विरोध
बालक की मौत की खबर क्षेत्र में फैलते ही बड़ी संख्या में लोग जिला अस्पताल पहुंच गए। परिजनों और स्थानीय लोगों ने वन विभाग और प्रशासन से 30 लाख रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग की। स्थिति बिगड़ने पर जिला कलेक्टर कानाराम, पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार बेनीवाल, डीएफओ मानस सिंह सहित प्रशासनिक और वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और परिजनों से बात की। अधिकारियों ने मुआवजे का आश्वासन दिया, लेकिन रात तक सहमति नहीं बन सकी।
सुबह दोबारा समझाइश और समझौता
शुक्रवार सुबह फिर से प्रशासन, पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और घटना स्थल का निरीक्षण कर परिजनों से बातचीत की। कुछ मांगों पर सहमति बनी तो परिजन अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां फिर सहमति नहीं बन सकी। बाद में उच्चाधिकारियों की लंबी समझाइश के बाद परिजन शव लेने और पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुए। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। सहमति के अनुसार वन विभाग मृतक परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा देगा और जिला प्रशासन नियमानुसार अन्य सरकारी सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करेगा।
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रणथंभौर में वन्यजीव हमलों की बढ़ती घटनाएं
इस साल रणथंभौर में वन्यजीवों के हमलों में अब तक चार लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें तीन मौतें टाइगर हमलों में और एक मौत पैंथर के हमले में हुई है। यह घटना उसी क्षेत्र की है, जहां पिछले तीन दिनों से पैंथर की गतिविधि देखी जा रही थी। डीएफओ मानस सिंह के अनुसार क्षेत्रवासियों को पहले ही सावधानी बरतने की सलाह दी गई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश हादसा टाल नहीं सका। उन्होंने कहा कि हमलावर पैंथर की ट्रैकिंग जारी है।
मॉनिटरिंग और सुरक्षा को लेकर सवाल
लगातार हो रही घटनाओं को लेकर वन विभाग की वन्यजीव मॉनिटरिंग पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बढ़ते बाघ-मानव संघर्ष पर नियंत्रण के लिए विभाग को बेहतर निगरानी और जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में ऐसे हादसों से ग्रामीण क्षेत्रों में आक्रोश और बढ़ सकता है।