जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के खिलाफ देशभर में आक्रोश फैल गया है। विशेष रूप से उस नृशंस वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया, जिसमें पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछकर उन्हें गोलियों से भून दिया गया। इस अमानवीय कृत्य की तीखी आलोचना करते हुए उदयपुर बार एसोसिएशन ने भी अपना विरोध दर्ज कराया।
उदयपुर के अधिवक्ताओं ने एक दिन का कार्य बहिष्कार करते हुए जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं ने मांग की कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, ताकि राज्य में कानून-व्यवस्था को फिर से स्थापित किया जा सके। उनका कहना था कि कश्मीर में हिंदू विरोधी ताकतों को खुलकर पनाह दी जा रही है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन चुकी हैं।
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अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इन तत्वों पर कठोर कार्रवाई नहीं कर सकती तो आमजन को ‘फ्री हैंड’ दिया जाए, ताकि वे स्वयं अपनी रक्षा कर सकें। इस दौरान बार एसोसिएशन ने शहर के प्रमुख चौराहे पर मानव शृंखला बनाकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन भी किया।
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सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ता काले कोट पहनकर सड़कों पर उतरे और देशद्रोहियों को बख्शा नहीं जाएगा जैसे नारों के साथ अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। अधिवक्ताओं का यह विरोध प्रदर्शन न केवल आतंकवाद के खिलाफ था, बल्कि यह सरकार से निर्णायक कार्रवाई की मांग भी थी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।