गुना जिले के पेंची में ट्रक की टक्कर से घायल एक व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई। मृतक व्यक्ति हादसे को हादसे के बाद इलाज उपलब्ध नहीं हो सका और लगभग 4 घंटों तक तड़पने के बाद उसने दम तोड़ दिया। इस मामले में पुलिस और अस्पताल प्रबंधन का अमानवीय चेहरा सामने आया है, जिसने मानवता को शर्मनाक कर दिया है। घायल को जिला अस्पताल पहुंचाने के लिए बीनागंज में पदस्थ चिकित्सक ने डायल-100 देने से मना कर दिया। मरीज के परिजन की मानें तो चिकित्सक ने यहां तक कह दिया कि यह तुम्हारे लिए नहीं है...कोई निजी वाहन किराए पर ले और घायल को ले जाओ।
दरअसल, सोमवार शाम लगभग 6 बजे ग्राम पेंची की स्मारक कॉलोनी, वार्ड क्रमांक 9 में रहने वाले 59 वर्षीय कैलाश पुत्र मिश्रीलाल अहिरवार किराना का सामान लेने नेशनल हाइवे स्थित एक दुकान पर गए थे। वापस लौटने समय कैलाश हाइवे किनारे खड़े थे, तभी तेज रफ्तार और अनियत्रित ट्रक ने उन्हें टक्कर मारी और लगभग 250 फिट तक घसीटता हुआ ले गया। मौके पर खड़े लोगों ने ट्रक चालक को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन वह ट्रक को तेजी से चलाकर भाग गया।
घटना की जानकारी मिलने पर कैलाश के भाई और भतीजा मौके पर पहुंचे और सबसे पहले डायल-108 को फोन लगाया। लेकिन कंट्रोल रूम ने उन्हें 1033 पर सम्पर्क करने की सलाह दी। कैलाश के भतीजे दीपक अहिरवार के मुताबिक उन्होंने 1033 पर फोन लगाया तो डायल-100 पर फोन लगाने के लिए कह दिया गया। बताया जा रहा है कि मौके पर डायल-100 पहुंची, लेकिन ट्रक चालक को पकडऩे से मना कर दिया।
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इसके बाद किसी तरह कैलाश अहिरवार को बीनागंज अस्पताल पहुंचाया गया, जहां एक घंटे तक उन्हें डॉक्टर के आने का इंतजार करना पड़ा। अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि डॉक्टर साहब भोजन करने के लिए गए हैं। घटना के बाद जिला अस्पताल में विलाप कर रहीं परिवार की महिलाओं ने आरोप लगाया कि बीनागंज अस्पताल में डॉक्टर साहब आ तो गए थे, लेकिन एक घंटे तक कुर्सी पर ही बैठे रहे और कैलाश को देखना तक उचित नहीं समझा। इसके बाद मामूली परीक्षण कर जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी।
बीनागंज अस्पताल में बुरी तरह जख्मी अवस्था में लाए गए कैलाश अहिरवार के भतीजे दीपक ने दावा किया कि उन्होंने चिकित्सक से अस्पताल परिसर में ही खड़ी डायल-108 गुना जिला अस्पताल ले जाने के लिए मांगी थी। लेकिन डॉक्टर ने कह दिया कि यह तुम्हारे लिए नहीं है। इसके बाद दीपक ने काफी देर बाद 3 हजार रुपए देकर एक निजी वाहन किराए पर लिया और कैलाश अहिरवार को गुना जिला अस्पताल लेकर रवाना हुए। लेकिन गुना बायपास पहुंचने से पहले ही कैलाश ने दम तोड़ दिया। जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने उसकी मौत की पुष्टि कर दी।
मृतक का पूरा परिवार कैलाश की मौत के लिए दुर्घटना को अंजाम देने वाले ट्रक चालक से ज्यादा डॉक्टर और सिस्टम को दोषी मान रहे हैं। उनका दावा है कि अगर समय रहते बीनागंज में उपचार शुरु हो जाता तो शायद कैलाश अहिरवार की जान बच जाती। या डायल-100 उपलब्ध करा दी जाती तो वे समय पर जिला अस्पताल आ जाते, जहां उपचार संभव था।