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VIDEO: कारगिल युद्ध के जवान के घर तक नहीं बन सका पिच मार्ग, पांच में सिर्फ तीन बीघा मिली जमीन
भीटी तहसील के घरवासपुर निवासी इंद्रजीत यादव ने 1988 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वर्ष 1999 में जब कारगिल युद्ध छिड़ा उन दिनों वह सरहद पर तैनात थे। कारगिल युद्ध में शामिल होने वाले जिले के इकलौते जवान थे। युद्ध में बम से घायल होने के बाद भी वह हौसला नहीं हारे थे। 30 सितंबर 2012 को नायब सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और वर्तमान में इंद्रजीत यादव अमेठी जिले में स्थित इंडो गल्फ फैक्ट्री में ट्रांसपोर्ट इंचार्ज के पद पर कार्यरत हैं।
उन्होंने जिला प्रशासन के समक्ष मिझौड़ा-महरुआ मार्ग के धार्मिक स्थल ब्रह्म बाबा से घरवासपुर गांव को पिच मार्ग से जोड़ने की मांग रखी थी। अभी तक यह मांग पूरी नहीं हो सकी। इसका मलाल आज भी उनको टीस पहुंचाता है। प्रशासन ने वर्ष 1999 में युद्ध से लौटने के बाद प्रवेश द्वार बनवाने, पांच बीघा जमीन पट्टा देने की घोषणा की थी हालांकि इसके सापेक्ष आज तक तीन बीघा जमीन ही मिल सकी है। आज तक प्रवेश द्वार भी नहीं बना है। सेवानिवृत्त होने के बाद जो रकम मिली थी उससे कारगिल विजय द्वार के नाम ब्रह्म बाबा देव स्थान का गेट बनवाया था।
बेटे को सेना में भर्ती कराने की आस रह गई अधूरी
इंद्रजीत यादव के पुत्र आदर्श सीएमओ कार्यालय में संविदा कर्मचारी के पद पर कार्यरत हैं। अंकित फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक्स का व्यापार मिझौड़ा चौराहा पर करते हैं। सौरभ अभी एमबीए की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने अपने पुत्र अंकित को स्नातक की पढ़ाई पूरी कर सेना में जाने की तैयारी कर रहे थे। इसकी दौड़ वर्ष 2021 में निकाल ली थी। मेडिकल भी हो गया था। इसी बीच केंद्र सरकार ने अग्निवीर लांच कर दिया था। ऐसे में अंकित की लिखित परीक्षा नहीं हो पाई थी। इसकी टीस आज भी इंद्रजीत को सताती है। इंद्रजीत यादव ने अग्निवीर योजना पर कहा कि इससे युवाओं में देश के मर मिटने का जज्बा कम होगा और किसी के नियमित होने और किसी न हो पपाने पर द्वेश भावना बढ़ेगी।
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