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कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य के नाम पर मार्ग का नामकरण, अयोध्या में विवाद शुरू
यूपी के अयोध्या में श्रीरामलला का भव्य मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद अयोध्या धाम की तस्वीर लगातार बदल रही है। विकास कार्यों के साथ अयोध्या में धार्मिक पहचान और संत परंपरा को सहेजने की कोशिश भी की जा रही है। लेकिन, इस बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
दरअसल, प्रमोद वन चौराहे से रामकथा कुंज मंदिर निर्मोही बाजार तक जुड़ने वाले करीब 300 मीटर लंबे मार्ग का नाम बदल दिया गया है। पहले यह मार्ग अयोध्या के ही प्रख्यात पखावज वादक स्वामी पागल दास महाराज के नाम से जाना जाता था। लेकिन, अब इस मार्ग का नाम बदलकर कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती महाराज मार्ग कर दिया गया है।
महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच इस नामकरण का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने राम मंदिर आंदोलन के समय कई बार मध्यस्थता कर अहम भूमिका निभाई थी। उनके अनुयायियों की मांग पर यह प्रस्ताव नगर निगम की बैठक में रखा गया और सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।
महापौर के अनुसार, शंकराचार्य का अयोध्या से गहरा जुड़ाव रहा है, इसलिए उनके सम्मान में यह कदम उठाया गया। हालांकि इस नामकरण पर विवाद के बीच विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। राम कचहरी चारों धाम मंदिर के महंत शशिकांत दास का कहना है कि स्वामी पागल दास महाराज संगीत और संत परंपरा के अद्भुत संत थे। उनका नाम हटाना अयोध्या की असली पहचान के साथ अन्याय है।
वहीं, हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास ने इसे महापौर की कुंठित मानसिकता करार देते हुए कहा कि अयोध्या में अनेक संतों का योगदान रहा है। ऐसे में उन्हीं के नाम पर मार्ग का नामकरण होना चाहिए था। अब देखना यह है कि प्रशासन इस विवाद को सुलझाने के लिए क्या रुख अपनाता है। एक ओर अयोध्या में संत परंपरा और धार्मिक धरोहर को संजोने की कवायद हो रही है। दूसरी ओर इस तरह के फैसलों से विवाद भी गहराते दिखाई दे रहे हैं।
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