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Kashipur: उत्तराखंड विधानसभा ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक को दी मंजूरी, देखिये क्या बोले विधायक चीमा
काशीपुर में विधायक त्रिलोक सिंह चीमा की ओर से सदन में प्रस्तुत उत्तराखंड माइनॉरिटी एजुकेशन बिल को विधानसभा में पारित कर दिया गया है। इस बिल का उद्देश्य राज्य के सभी अल्पसंख्यक समुदायों मुस्लिम, सिख, जैन, क्रिश्चियन, बौद्ध और पारसी से संबंधित शिक्षा संस्थानों को समान अधिकार, व्यवस्थित पहचान और पारदर्शी निगरानी प्रदान करना है। भाजपा विधायक चीमा ने विपक्षी विधायकों के आचरण पर चिंता जताते कहा कि सदन एक पवित्र स्थान है, लेकिन विपक्ष ने पर्चे फाड़ना, टेबल पलटना जैसी गतिविधियों से उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाई है। भराड़ीसैंण में आयोजित उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र में भाग लेकर लौटे भाजपा विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने अपने कार्यालय में प्रेसवार्ता आयोजित की। उन्होंने प्रेसवार्ता में बताया कि मानसून सत्र में उत्तराखंड माइनॉरिटी एजुकेशन बिल 2025 सदन में प्रस्तुत किया, जिसे विधानसभा ने पारित कर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इसके तहत उत्तराखंड स्टेट माइनॉरिटी एजुकेशन अथॉरिटी का गठन होगा, जो संस्थानों की निगरानी करेगी। सभी संस्थानों का पंजीकरण सोसाइटीज एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनीज एक्ट में होना अनिवार्य होगा, साथ ही प्रॉपर्टी और बैंक खाते संस्थान के नाम पर होने चाहिए। नियमों का पालन न करने पर रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अल्पसंख्यक संस्थाएं अपनी स्थानीय भाषा में शिक्षा देने का अधिकार रखती हैं, लेकिन उत्तराखंड बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के मानकों का पालन अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विधेयक को समानता, पारदर्शिता और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य किसी एक समुदाय को लाभ पहुंचाना नहीं, बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों को समान अवसर प्रदान करना है। विधायक चीमा ने कहा कि कांग्रेस हमेशा विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सकारात्मक पहल को भी नकारने की प्रवृत्ति दिखाती है, जबकि वास्तविक मकसद राज्य को आगे ले जाना होना चाहिए। वहां पर पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा, पूर्व प्रदेश कोषाध्यक्ष आशीष गुप्ता आदि मौजूद रहे।
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