गोरखपुर जिले के झंगहा के नौवाबारी गांव में दो परिवारों में मंगलवार को उस समय मातम पसर गया, जब 18 दिन से लापता उनके लाडलों की मौत की खबर आई। परिवार को जिस अनहोनी की आशंका थी, वही हुआ। बड़ी उम्मीद में परिवार वाले उनके इंतजार में थे।
दोनों के परिवार वालों को अनहोनी की आशंका तो थी, लेकिन उन्हें यह भी लगता था कि हो सकता है, कहीं भटक गए हों और लौट आएंगे। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। गांव वालों में गुस्सा इस बात का भी है कि 11 जनवरी को तहरीर देने के बाद भी पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया, न ही ठीक से जांच की, वरना दोनों जिंदा बच सकते थे।
जानकारी के मुताबिक, आकाश और गणेश पढ़ाई के साथ मजदूरी भी करते थे। यही वजह है कि सात जनवरी को जब दोनों घर से निकले तो परिवार वालों को लगा कि वे गीडा गए होंगे, किसी फैक्टरी में काम करने के लिए। मगर, जब गीडा में कई जगहों पर पता किए तो इनके बारे में जानकारी नहीं मिली। इसके बाद रिश्तेदारी में भी पता किए। कहीं पर भी जानकारी नहीं मिलने पर 11 जनवरी को तहरीर दी गई थी। पुलिस चौकी से थाने तक मामला ही नहीं गया। गुमशुदगी तक नहीं दर्ज हो पाई थी। पुलिस अपने स्तर से जांच तो कर रही थी, लेकिन सिर्फ खानापूरी ही हो रही थी।
एक साथ ही की गई दोनों की हत्या
दोनों दोस्त जिस तरह घर से एक साथ निकले थे और फिर एक साथ ही उनके शव मिले हैं, उससे यही लग रहा है कि दोनों की हत्या एक साथ ही की गई और शवों को दफना दिया गया था। ऊपरी सतह से करीब एक फीट नीचे शव दफनाए गए थे। कुत्तों ने अगर गड्ढा न खोदा होता तो शायद शव भी मिलने मुश्किल थे।
दसवीं और ग्यारहवीं में पढ़ते थे दोस्त
गणेश जायसवाल ग्यारहवीं और आकाश दसवीं का छात्र था। दोनों एक साथ ही रहते थे। घर भी दोनों के आसपास ही थे। जब कभी काम पर जाते थे तो साथ ही। दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। गांव वालों के मुताबिक, इनके परिवारों की गांव में किसी से कोई विवाद या दुश्मनी भी नहीं है।
एक के पिता ऑटो चलाते हैं, दूसरे के करते हैं मजदूरी
आकाश के पिता साहब मजदूरी करते हैं। वहीं गणेश के पिता जितेंद्र ऑटो चलाते हैं। दोनों परिवारों के बीच रिश्ते काफी अच्छे हैं। आपस में मिलजुल कर रहते है।
घर पर आए दोस्तों के साथ गए थे आकाश, गणेश
आकाश और गणेश के घर पर सात जनवरी की शाम में कुछ दोस्त भी आए थे। बताया जा रहा है कि पहले वह गणेश के घर गए और उसे साथ लेकर फिर आकाश के घर पहुंचे थे। फिर सभी साथ चले गए थे। इसी वजह से परिवार वालों को लग रहा था कि वह कमाने चले गए होंगे। गणेश की मां की चार साल पहले मौत हो चुकी है।
पहले सोचा गए होंगे कमाने, नहीं मिलने पर दी पुलिस को सूचना
दोनों के पिता ने बताया कि दोनों दोस्त एक दिन चर्चा कर रहे थे कि गीडा में काम तलाशने जाएंगे। यही वजह है कि जब दोनों घर से निकले तो लगा कि कमाने के लिए गए होंगे। एक दिन तक पता नहीं चला तो फिर गीडा में पता किए। वहां गांव के कुछ लोग रहते हैं, लेकिन जानकारी नहीं मिलने पर रिश्तेदारी में भी पता किए। किसी जगह से कोई जानकारी नहीं मिलने पर पुलिस चौकी पर शिकायत की गई थी।
आकाश बड़ा और गणेश भाई-बहनों में छोटा था
आकाश तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। वहीं गणेश दूसरे नंबर का है। उसकी एक छोटी बहन भी है। गणेश के भाई अमन, महेश और बहन नेहा अभी पढ़ाई ही करते हैं।
विस्तार
गोरखपुर जिले के झंगहा के नौवाबारी गांव में दो परिवारों में मंगलवार को उस समय मातम पसर गया, जब 18 दिन से लापता उनके लाडलों की मौत की खबर आई। परिवार को जिस अनहोनी की आशंका थी, वही हुआ। बड़ी उम्मीद में परिवार वाले उनके इंतजार में थे।
दोनों के परिवार वालों को अनहोनी की आशंका तो थी, लेकिन उन्हें यह भी लगता था कि हो सकता है, कहीं भटक गए हों और लौट आएंगे। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। गांव वालों में गुस्सा इस बात का भी है कि 11 जनवरी को तहरीर देने के बाद भी पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया, न ही ठीक से जांच की, वरना दोनों जिंदा बच सकते थे।
जानकारी के मुताबिक, आकाश और गणेश पढ़ाई के साथ मजदूरी भी करते थे। यही वजह है कि सात जनवरी को जब दोनों घर से निकले तो परिवार वालों को लगा कि वे गीडा गए होंगे, किसी फैक्टरी में काम करने के लिए। मगर, जब गीडा में कई जगहों पर पता किए तो इनके बारे में जानकारी नहीं मिली। इसके बाद रिश्तेदारी में भी पता किए। कहीं पर भी जानकारी नहीं मिलने पर 11 जनवरी को तहरीर दी गई थी। पुलिस चौकी से थाने तक मामला ही नहीं गया। गुमशुदगी तक नहीं दर्ज हो पाई थी। पुलिस अपने स्तर से जांच तो कर रही थी, लेकिन सिर्फ खानापूरी ही हो रही थी।