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‘नहाय खाय’ के साथ सूर्य उपासना का महापर्व शुरू

टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर Updated Thu, 26 Oct 2017 10:46 AM IST
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Chhath Puja 2017: Four-day festival begins
छठ पूजा
तीन दिनों तक चलने वाले छठ पर्व की शुरुआत ‘नहाय खाय’ से हो गई। मान्यता है कि संतान पर आने वाले सभी कष्टों को दूर करने के लिए यह व्रत रखा जाता है। सुबह घर की पूरी सफाई करने के बाद व्रत करने वाली महिलाओं ने स्वच्छ होकर शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाया। इसके बाद शाम को स्नान और पूजन-अर्चन के बाद कद्दू व चावल के बने प्रसाद को ग्रहण किया। तीन दिनों तक चलने वाला व्रत नहाय खाय से शुरू होकर तीसरे दिन यानी 27 अक्तूबर को उगते सूर्य देवता को अर्घ्य देकर पूरा होगा। उधर, विजय नगर, सीटीआई, गोविंद नगर बाजारों में व्रत की सामग्री के लिए बाजार सज गए हैं। जिनमें छठ व्रत की सामग्री बिक रही हैै।


 
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Chhath Puja 2017: Four-day festival begins
छठ पूजा
सूर्य संहिता के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी, षष्ठी, सप्तमी को छठ व्रत पर्व के रूप में मनाया जाता है। पूर्वांचल और बिहार क्षेत्र में इस व्रत की बड़ी मान्यता है। छठ व्रत को द्वापर युग में द्रौपदी, कर्ण और भीष्म पितामह ने भी किया था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नहाने के बाद गीले वस्त्रों से संतान को पोछा जाता है। ताकि भगवान सूर्य बच्चे को दीर्घायु का आशीर्वाद दें। महिलाएं बुधवार को खरना या छोटी छठ पर लौका भात का प्रसाद ग्रहण करती हैं। माताएं ठेकुआ (गेहूं की रोटी की तरह) बनाना शुरू करती हैं। 26 अक्तूबर को डाला छठ में अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
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Chhath Puja 2017: Four-day festival begins
छठ पूजा
डाला छठ के अगले दिन 27 अक्तूबर को उगते सूर्य को गाय के कच्चे दूध का अर्घ्य देकर संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना की जाती है। उधर, विजय नगर, अर्मापुर, शास्त्री नगर छोटा सेंट्रल पार्क, बड़ी सेंट्रल पार्क, कमला नगर, रतनपुर, आवास विकास, दबौली पश्चिम, सीटीआई, साकेत नगर आदि घाट चकाचक मिले। जबकि दबौली वेस्ट प्रकाश स्कूल के पास और मिश्रीलाल चौराहा के पास वाला घाट दुरुस्त मिला।
Chhath Puja 2017: Four-day festival begins
छठ पूजा
छठ व्रत का महत्व
महामहोपाध्याय आदित्य पांडेय ने बताया कि पूर्वांचल एवं मगध प्रदेश (बिहार आदि क्षेत्र में) में सूर्य की पत्नी ऊषा के पूजन का विधान है। इनको छठ माता अथवा षष्ठी माता भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि जहां सूर्य में तीव्रता एवं क्रोध है वहीं माता ऊषा में समृद्धि एवं सौभाग्य प्रदान करने की क्षमता है। इसलिए छठ पूजन प्रात:काल एवं सांध्यकाल में किया जाता है। जबकि  सूर्य अपने प्रचंड रूप में न हो। सूर्य की छठी पत्नी होने के कारण इनको षष्ठी देवी भी कहते हैं। छठ माता के पूजन से आरोग्य, समृद्ध्रि, संतान सुख प्राप्त होते है। साथ ही षष्ठी माता पवित्रता का प्रतीक मानी जाती हैं। ऐसे में छठ पूजन में पवित्रता का विशेष ध्यान देना चाहिए। ठेकुआ का प्रसाद षष्ठी माता को प्रिय माना जाता है। इनके पूजन का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि 16 संस्कारों में छठी नहीं होते हुए भी हर नवजात शिशु की छठी मानना आवश्यक माना गया है।
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छठ पूजा
गाय के दूध का वितरण होगा
अखिल भारतीय भोजपुरी महासभा की ओर से अर्घ्य वाले दिन व्रत करने वाली महिलाओं को गाय का दूध वितरण किया जाएगा। महासभा की ओर से नगर निगम से मांग की गई कि घाटों पर लाइट की व्यवस्था की जाए। ताकि महिलाओं को पूजा में कोई असुविधा न हो।
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