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ग्राउंड रिपोर्ट: आठ पुलिसकर्मियों को मौत की नींद सुलाने वाले विकास दुबे के लिए अभेद्य किला है बिकरू
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Sat, 04 Jul 2020 12:14 AM IST
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अभेद्य किला है विकास दुबे के लिए बिकरू गांव
- फोटो : amar ujala
उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों को मौत की नींद सुलाने वाले कुख्यात अपराधी विकास दुबे उर्फ विकास पंडित के लिए बिकरू गांव किसी अभेद्य किले से कम नहीं है। बिकरू में आने की सूचना पर चौबेपुर-शिवराजपुर के धन्नासेठ-उद्योग पतियों के अलावा राजनैतिक दलों के लोग भी आर्शीवाद लेने और नजराना देने के लिए पहुंचते थे।
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घटना को अंजाम देने के बाद इसी रास्ते से भागे बदमाश
- फोटो : amar ujala
इसके अलावा विकास पंडित से गांव-घरों की पंचायत कराने के लिए भी उसके घर पर पंचायत रोज सुबह-शाम सजती थी। कुछ दिन पहले ही एनटीपीसी सोलर प्लांट में मिट्टी खनन को लेकर विकास पंडित की कुछ लोगों से जमकर कहासुनी भी हुई थी। मोहनीपुरवा गांव निवासी राहुल तिवारी द्वारा गुरुवार रात संगीन धाराओं में विकास पंडित पर रिपोर्ट दर्ज कराने और पुलिस टीम के बिकरू गांव दबिश देने की सूचना जैसे ही विकास को मिली वैसे पुलिस से मोर्चा लेने की तैयारी शुरू हो गई।
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पूछताछ के लिए बैठाए गए लोग
- फोटो : amar ujala
विकास पंडित के घर के सामने मुख्य रास्ते पर जेसीबी लगाकर पुलिस का रास्ता रोक दिया गया है, जिसके बाद विकास पंडित ने पुलिस अधिकारियों सिपाहियों संग खूनी खेल खेला। मजे की यह बात है कि गांव में रात में कई राउंड गोली चली, लेकिन कोई भी ग्रामीण सीधे तौर घटना की जानकारी न तो पुलिस को देने को तैयार है और न ही अन्य किसी जांच अधिकारियों को।
गांव के मुख्य मार्ग पर पुलिस की गाड़ियां रोकने के लिए लगी जेसीबी
- फोटो : amar ujala
पुलिस पूछताछ और कार्रवाई से बचने के लिए बड़ी संख्या में कई ग्रामीण अपने घरों में ताला डालकर बच्चों सहित पलायन कर गए और जो रुके वह अपने और अपने पड़ोसियों के पशुओं-घरों, अनाज आदि की देखभाल कर रहे हैं। पूरे दिन पुलिस के आलाधिकारियों के आने और पूछताछ को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग अपने घरों को छोड़कर पड़ोसी गांवों, रिश्तेदारी चले गए हैं।
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विकास दुबे का घर जहां पुलिस पर हुआ हमला
- फोटो : amar ujala
इसके अलावा गांव में जब फायरिंग की घटना हुई तब विकास पंडित के गुर्गों द्वारा हाईमास्ट लाइट्स के अलावा घरों की बिजली भी काट दी गई। जिसकारण अंधेरे का फायदा उठाकर घटना को अंजाम देने वाले सभी खेतों के रास्ते पांडू नदी पार करते हुए भाग गए।
